विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि वो ऐसे बैक्टीरिया, वायरस और सूक्ष्मजीवों की पहचान कर रहा है जो भविष्य में कोरोना जैसी महामारी का कारण बन सकते हैं। जी दरअसल डब्ल्यूएचओ इन रोगाणुओं (पैथोजन्स) की एक सूची भी बनाने वाला है ताकि उनसे निपटने पर काम किया जा सके। जी दरसल इस रिसर्च के लिए डब्ल्यूएचओ 300 वैज्ञानिकों की एक टीम तैयार कर रहा है जो भविष्य में महामारी फैलाने वाले बैक्टीरिया और वायरस की पहचान करेगी। केवल यही नहीं बल्कि इसी के साथ ही ये टीम इन रोगाणुओं के टीके और इलाज पर भी काम करेगी। आप सभी को बता दें कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, प्राथमिक रोगजनकों की सूची को अपडेट करने के लिए वैश्विक वैज्ञानिक प्रक्रिया शुरू की जा रही है जिसमें आने वाले खतरे से निपटने के लिए योजना बनाई जाएगी।
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इसी के साथ डब्ल्यूएचओ ने बताया कि ये सब इसलिए किया जा रहा है ताकि पहले से पता होने के बाद इस तरह की महामारी से जनहानि को कम किया जा सके। बीते दो सालों में कोरोना के अलावा जीका, मंकीपॉक्स और निपाह जैसे वायरस बड़े पैमाने पर जनहानि का कारण बने हैं। आपको बता दें कि डब्ल्यूएचओ द्वारा प्राथमिकता वाले रोगजनकों की इस लिस्ट में कोविड-19, इबोला वायरस, मारबर्ग वायरस, लस्सा फीवर, एमईआरएस, सार्स, जीका और डिजीज X शामिल हैं। जी हाँ और इन रोगाणुओं को किसी भी महामारी के उत्पन्न होने की स्थिति में एक उपाय के तौर पर कड़ी निगरानी में रखा गया है। डब्ल्यूएचओ द्वारा रोगजनकों की पहली सूची 2017 में प्रकाशित की गई थी।
आपको बता दें कि वर्तमान में कोविड -19, क्रीमियन-कॉन्ग हेमोररहाजिक बुखार, इबोला वायरस रोग और मारबर्ग वायरस रोग, लस्सा फीवर बुखार, मिडल ईस्ट रिस्पायरेटरी सिंड्रोम (MERS), सिंड्रोम और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS), निपाह और हेनिपाविरल रोग, रिफ्ट वैली फीवर, जीका और डिसीज X शामिल हैं। हालाँकि इस दौरान वैज्ञानिकों की खासतौर पर डिजीज X पर काम करेंगे जो एक अज्ञात रोगजनक है। डिजीज X भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महामारी का कारण बन सकता है। इसी को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि ये कोरोना से बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं और अगर ये एक बार फैल गया तो इसे रोकना लगभग नामुमकिन होगा। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि 300 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम डिजीज X समेत 25 से अधिक वायरस के परिवारों और बैक्टीरिया के सबूतों पर काम करेंगे।
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