पटना: 2016 में, पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में एक दुखद रोड रेज की घटना घटी थी, जिसमे आदित्य सचदेवा नाम के एक 18 वर्षीय लड़के की जान चली गई थी। इस घटना के मुख्य आरोपी, पूर्व JDU एमएलसी मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव को 2017 में हत्या के लिए दो अन्य लोगों के साथ दोषी ठहराया गया था। हालांकि, 19 जुलाई को, पटना उच्च न्यायालय ने "संदेह के लाभ के आधार पर सभी तीन आरोपियों को बरी कर दिया है।
बता दें कि, 2016 में यह घटना तब हुई, जब गया के रामपुर पुलिस स्टेशन के पास कार को साइड न देने पर रॉकी यादव की आदित्य सचदेवा और उसके दोस्तों के साथ तीखी बहस हो गई। विवाद बढ़ गया और गुस्से में आकर रॉकी ने अपनी लाइसेंसी बेरेटा बंदूक से आदित्य को गोली मार दी, जिससे उसकी दुखद मौत हो गई। मुकदमे के दौरान, आदित्य के दोस्तों और एक पुलिस कांस्टेबल सहित कई गवाह अपने बयान से मुकर गए और अपने बयान बदल दिए, जिससे अभियोजन पक्ष का मामला कमजोर हो गया। कुछ गवाहों ने शूटर की स्पष्ट पहचान न कर पाने का कारण अंधेरा बताया।
बता दें कि, मुख्य आरोपी रॉकी यादव को अपराध के तीन दिन बाद बोधगया में उसके पिता के मिक्सर प्लांट से गिरफ्तार कर लिया गया था। गया की एक अदालत ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में सजा सुनाई थी, जबकि उनके अंगरक्षक राजेश कुमार और पिता बिंदी यादव को भी अरेस्ट कर लिया गया था। 2017 में रॉकी यादव और उसके सहयोगियों को अदालत ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जबकि बिंदी यादव को अपराधी को शरण देने के लिए पांच साल की सजा सुनाई गई थी। हालाँकि, बिंदी यादव का जुलाई 2020 में कोविड के कारण निधन हो गया।
जिसके बाद अब पटना हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए JDU नेता के बेटे को सबूतों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया है और तीनों को बरी करते हुए रिहा करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही अभियुक्तों से ली गई जुर्माने की राशि लौटाने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने पर्याप्त सबूत न होने के कारण तीनों को रिहा किया है। अदालत ने बरामद गोलियों को हत्या के हथियार से जोड़ने के लिए ठोस सबूत देने में फोरेंसिक विशेषज्ञ की विफलता को भी कारण बताया।
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