वाशिंगटन: एक तरफ बढ़ रहा कोरोना का कहर अब इतना बढ़ चुका है. कि हर तरफ केवल तवाही का मंज़र देखने को मिल रहा है. जंहा अब तक इस वायरस से मरने वालों कि संख्या 88000 से अधिक हो चुकी है. वहीं अभी भी लोगों में इस वायरस का खौफ फैला हुआ है. वहीं इस बीमारी से लड़ने के लिए अब भी डॉक्टर इलाज़ खोज रहे है. वहीं इस बीमारी से खुद और लोगों को बचाने के लिए महिलाओं ने एक नई प्रक्रिया शुरू कर दी है. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फंड को रोकने की धमकी के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization यानी WHO) के अधिकारियों ने इसे 'चीन केंद्रित' संस्था होने के आरोपों से इनकार किया है. दरअसल, कोरोना वायरस से बेकाबू हो रहे हालातों के बीच कई देशों ने इस विश्व संस्था के खिलाफ आवाजें उठाने शुरू कर दी हैं. हाल ही में जापान ने चीन को लेकर डब्ल्यूएचओ के नजरिये पर सवाल खड़ा किया था. जापान के उप प्रधानमंत्री तारो असो ने कहा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का नाम बदलकर चीनी स्वास्थ्य संगठन कर देना चाहिए.
लगातार हो रही आलोचनाओं और ट्रंप के सख्त रुख के सामने आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization यानी WHO) के यूरोप के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. हंस क्लूज (Dr Hans Kluge) ने कहा कि चूंकि हम एक महामारी के तीव्र चरण में हैं... ऐसे में यह फंडिंग में कटौती करने का समय नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रकोप के शुरुआती दौर में जमीन पर चीन की ओर से की गई कोशिशें बेहद महत्वपूर्ण थीं.
यही नहीं डब्लूएचओ के महानिदेशक के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ब्रूस आयलवर्ड ने भी चीन का बचाव किया. उन्होंने कहा कि बीजिंग के अधिकारियों का वुहान में दिसंबर की शुरुआत में इस प्रकोप को समझना बेहद महत्वपूर्ण था. वुहान से शुरू हुई महामारी के बारे में समझने के लिए बीजिंग के साथ काम करना भी जरूरी था. वहीं फरवरी में चीन के लिए डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञ मिशन का नेतृत्व करने वाले आयलवर्ड (Aylward) ने सीमाओं को खुला रखने की सिफारिशों का बचाव करते हुए कहा कि चीन ने शुरुआती मामलों और उनके संपर्कों की पहचान करने और उनका पता लगाने के लिए बहुत मेहनत की और सुनिश्चित किया कि ऐसे लोग यात्रा नहीं करें. यही नहीं डब्लूएचओ के महानिदेशक के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ब्रूस आयलवर्ड ने भी चीन का बचाव किया. उन्होंने कहा कि बीजिंग के अधिकारियों का वुहान में दिसंबर की शुरुआत में इस प्रकोप को समझना बेहद महत्वपूर्ण था. वुहान से शुरू हुई महामारी के बारे में समझने के लिए बीजिंग के साथ काम करना भी जरूरी था. वहीं फरवरी में चीन के लिए डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञ मिशन का नेतृत्व करने वाले आयलवर्ड (Aylward) ने सीमाओं को खुला रखने की सिफारिशों का बचाव करते हुए कहा कि चीन ने शुरुआती मामलों और उनके संपर्कों की पहचान करने और उनका पता लगाने के लिए बहुत मेहनत की और सुनिश्चित किया कि ऐसे लोग यात्रा नहीं करें.
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डोनाल्ड ट्रंप की धमकी पर WHO के अधिकारी ने बोली यह बात
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