नई दिल्ली : भगवान के बाद इंसान यदि किसी पर भरोसा करता है, तो वो है डॉक्टर। हम अपनी जिदंगी पूरे विश्वास के साथ उनके हाथ में सौंप देते है। लेकिन जिस डॉक्टर को हम भगवान का दर्जा देते है यदि उसके पास उसकी डिग्री ही फर्जी हो तो। भारत के 57 प्रतिशत डॉक्टरों के पास मेडिकल की डिग्री नहीं है।
ये हम या कोई सर्वे नहीं बल्कि खुद विश्व स्वास्थय संगठन ने कहा है। डब्ल्यूएचओ ने हेल्थ वर्कफोर्स इन इंडिया के नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें साल 2001 में किए गए एक सर्वे का भी जिक्र है। इस रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में खुद को डॉक्टर कहने वाले लगभग 31 फीसदी लोग केवल 10वीं पास है। 57 फीसदी लोग तो ऐसे है, जिनके पास मेडिकल की कोई डिग्री ही नहीं है।
पिछड़े ग्रामीण इलाकों में स्थिति और बदतर है। वहां केवल 18.8 फीसदी के पास ही डिग्री है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक महिला स्वास्थ कर्मी पुरूषों के मुताबिक ज्यादा पढ़ी लिखी पाई गई हैं। शोध में यह भी कहा गया है कि एलोपेथिक, आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक और यूनानी डॉक्टरों को मिलाकर राष्टीय स्तर पर हर एक लाख लोगों पर सिर्फ 80 डॉक्टर हैं।