नई दिल्ली: 2019 चुनाव में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को शिकस्त देने के लिए विपक्ष द्वारा बनाया गया गठबंधन, अभी से कमजोर पड़ने लगा है. अभी तक कांग्रेस और अन्य पार्टियों द्वारा बने इस महागठबंधन का चेहरा अभी तक निर्धारित नहीं हो सका है. इसीलिए बिना नेतृत्व के इस गठबंधन में सीटों को लेकर भी बंदरबांट होने के कयास लगाए जा रहे हैं. लेकिन उससे बड़ा मुद्दा ये है कि 2019 के आम चुनाव में पीएम मोदी के सामने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा ?
क्या सच में रवांडा से बहुत कुछ सीख सकता है भारत..?
एक तरफ जहाँ कांग्रेस पार्टी राहुल गाँधी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर चुकी है, वहीँ उनके साथ गठबंधन बनाने वाली छोटी-मोटी पार्टियों के अध्यक्ष भी पीएम की गद्दी पर आसीन होने का सपना देख रहे हैं. सपा से अखिलेश यादव, बसपा से मायावती, राजद से तेजस्वी यादव, इनमे से कुछ प्रत्यक्ष तो कुछ अप्रत्यक्ष तरीके से खुद को पीएम का उम्मीदवार घोषित करने में लगे हुए हैं. लालू प्रसाद के पुत्र और राजद नेता तेजस्वी यादव ने तो मंगलवार को दिए अपने बयान में भी यह कह दिया है कि राहुल गाँधी अकेले ही पीएम पद के उम्मीदवार नहीं हैं, उनके अलावा कई विपक्षी नेता जैसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और बसपा प्रमुख मायावती प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों की सूचि में हैं.
रवांडा में गूंजा पीएम का नारा, सबका साथ सबका विकास
तेजस्वी ने कहा कि आम चुनावों में विपक्ष की ओर से पीएम पद के लिए कौन खड़ा होगा, इस बैठक में सभी दल विचार विमर्श कर फैसला लेंगे. जो भी फैसला बैठक में निकल कर आएगा. उसे ही सभी पार्टियों द्वारा समर्थन दिया जाएगा. तेजस्वी यादव ने अपने इस बयान से ये तो पक्का कर दिया है कि विपक्षी दलों का ये महागठबंधन अभी तक नेतृत्वहीन है और सत्ता पाने की प्रबल इच्छा के साथ सुगठित भाजपा से टकराना चाहता है. खैर ये तो सभी को पता है कि उन्हें लड़ना किससे है, लेकिन उनका अपना राजा कौन है, इस पर फैसला आना बाकी है.ये देखना भी दिलचस्प होगा कि ये गठजोड़ 2019 में मोदी सरकार के सामने क्या चुनौती पेश करता है.
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