नई दिल्ली: खुदरा महंगाई दर में कमी आने के पश्चात् अब थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में भारी गिरावट दर्ज की गई है. नवंबर में थोक मुद्रास्फीति का आंकड़ा गिरकर 5.85 फीसदी पर पहुंच गया है. WPI का यह बीते 21 महीने में सबसे निचला स्तर है. इससे पहले अक्टूबर में यह आंकड़ा 8.39 फीसदी पर था. खुदरा के साथ ही थोक महंगाई दर में कमी आने से केंद्र सरकार एवं आरबीआई (RBI) को भी राहत प्राप्त हुई है.
दरअसल, महंगाई के स्तर में कमी लाने के लिए RBI की ओर से बीते बहुत वक़्त से कोशिश की जा रही थी. क्रूड ऑयल के दामों में गिरावट आने से थोक मुद्रास्फीति (WPI) नीचे आई है. मार्च, 2021 में यह 7.89 प्रतिशत पर थी. अप्रैल, 2021 से थोक मुद्रास्फीति दो अंक यानी 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई थी. तत्पश्चात, यह अक्टूबर 2022 में पहली बार सिंगल डिजिट में रही थी.
वही इससे पहले नवंबर में खुदरा महंगाई दर कम होकर 11 महीने के निचले स्तर 5.88 प्रतिशत पर पहुंच गई. एनएसओ की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 11 महीनों में यह पहला अवसर है जब खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई (RBI) के संतोषजनक स्तर से नीचे आ गई है. केंद्रीय बैंक को रिटेल इंफलेशन रेट 2 से 6 फीसदी के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. खुदरा मुद्रास्फीति दर अक्टूबर, 2022 में गिरकर 6.77 फीसदी पर पहुंच गई थी. बीते वर्ष नवंबर में यह 4.91 फीसदी थी.
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