हैदराबाद: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नवनिर्वाचित विधायक राजा सिंह ने तेलंगाना विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष के रूप में अकबरुद्दीन ओवैसी की नियुक्ति पर विरोध जताया और कहा कि वह और अन्य भाजपा विधायक कार्यवाही की अध्यक्षता कर रहे ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के विधायक के साथ शपथ ग्रहण कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे। एक सरकारी आदेश (GO) में कहा गया है कि तेलंगाना के नवनिर्वाचित विधायक शनिवार सुबह 11 बजे होने वाले विधान सभा के पहले सत्र के दौरान शपथ लेंगे।
बता दें कि, तेलंगाना में कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया है और बिना किसी सहयोगी दल के राज्य में कांग्रेस की सरकार है, सीएम रेवंत रेड्डी और डिप्टी सीएम मल्लू भट्टी विक्रमार्क के अलावा 10 कांग्रेस मंत्री शपथ ले चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस सरकार में विपक्षी दल AIMIM के विधायक का प्रोटेम स्पीकर होना, कई लोगों को गले नहीं उतर रहा है, वो भी तब जब ओवैसी बंधुओं ने पूरी ताकत से कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा था और पार्टी के प्रमुख नेता राहुल गांधी पर तीखे हमले किए थे। यहाँ तक कि, ओवैसी बंधुओं ने सीएम रेवंत रेड्डी को भी RSS का आदमी बताते हुए कांग्रेस को वोट न देने की अपील की थी। ऐसे में ये सवाल उठने लगे हैं कि, क्या कांग्रेस और AIMIM का अघोषित गठबंधन है ? जबकि राहुल गांधी खुद चुनाव से पहले तक AIMIM को भाजपा की B टीम बता रहे थे और अब अपनी सरकार में AIMIM विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी को प्रोटेम स्पीकर बना दिया गया है।
ये है अकबरुददीन औवेशी, असदुददीन औवेशी के भाई है ।
— Er. Rajesh Singh (@Kumar1975Rajesh) November 22, 2023
ये ऑन ड्यूटी पुलिस अधिकारी को धमकी दे रहा है कि,"कोई माई का लाल पैदा नही हुआ है मुझे रोकने के लिए, इशारा कर दिया तो दौड़ना पड़ेगा" ।
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आदर्श आचार संहिता के तहत समय पर रैली खत्म करने पर ये धमकी !
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कहां है चुनाव आयोग ?
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अकबरुद्दीन ओवैसी ने आज शनिवार सुबह ही राजभवन में तेलंगाना विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ली। जिसके बाद भाजपा इसके विरोध में उतर आई, एक वीडियो संदेश में, राजा सिंह ने कहा कि "जब तक जिन्दा हूँ" AIMIM विधायक के सामने कभी शपथ नहीं लूंगा। राजा सिंह ने पुछा कि, "क्या मैं उस व्यक्ति (अकबरुद्दीन औवेसी) के सामने शपथ ले सकता हूं जिसने अतीत में हिंदू विरोधी टिप्पणियां की थीं?"
जब असदुद्दीन ओवेसी के भाई अकबरुद्दीन ओवेसी ने कहा कि अगर पुलिस को 15 मिनट के लिए हटा दिया जाए तो "25 करोड़" (मुसलमान) आसानी से "100 करोड़" (हिंदुओं) पर कब्ज़ा कर लेंगे " तब कितने लोगों ने कहाँ था "नफरत की दुकान है ये"?
— अंशुमान (@Anshuman_BJP1) September 22, 2023
एक अन्य वीडियो में वह हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाते नजर… pic.twitter.com/IpG9Jgg8jl
उन्होंने यह भी याद किया कि जब 2018 में AIMIM का एक सदस्य प्रोटेम स्पीकर था, तब भी उन्होंने विधायक के रूप में शपथ नहीं ली थी। राजा सिंह ने कहा कि, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस के सरकार बनाने और रेवंत रेड्डी के मुख्यमंत्री बनने के बाद, कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया है। नए मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने पहले BRS, AIMIM और भाजपा के बीच एक मौन सहमति का आरोप लगाया था। राजा सिंह ने कहा कि, ''उनकी पार्टी (कांग्रेस) और AIMIM के बीच क्या संबंध है ? हम ऐसे व्यक्ति के सामने शपथ नहीं लेंगे, हम बहिष्कार करेंगे।''
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि ऐसे कई वरिष्ठ विधायक हैं जिन्हें अस्थायी अध्यक्ष बनाया जा सकता था, लेकिन सीएम रेड्डी अल्पसंख्यकों और AIMIM नेताओं को खुश करना चाह रहे थे। भाजपा ने एक विज्ञप्ति में कहा कि नवनिर्वाचित विधायक (8) शनिवार सुबह राज्य पार्टी अध्यक्ष जी किशन रेड्डी से मिलेंगे और बाद में हैदराबाद के चारमीनार में देवी भाग्य लक्ष्मी मंदिर में पूजा करेंगे।
वहीं, केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता जी किशन रेड्डी ने कहा है कि, 'भाजपा ने फैसला लिया है कि हम अकबरुद्दीन ओवैसी की नियुक्ति के खिलाफ हैं। कई वरिष्ठ विधायक हैं, उन्हें छोड़कर कांग्रेस ने मजलिस पार्टी के विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया है। यह विधानसभा की परंपरा और नियम के विरुद्ध है।' किशन रेड्डी ने आगे कहा कि, 'अकबरुद्दीन ओवैसी की नियुक्ति काफी सारे वरिष्ठ विधायकों का तिरस्कार भी है। हम चाहते हैं मजलिस पार्टी के शख्स को जो गलत तरीके से नियुक्त किया गया है, उनके सामने भाजपा विधायक शपथ नहीं लेंगे। हम रेग्युलर स्पीकर आने के बाद शपथ ग्रहण करेंगे। गैर कानूनी, नियमों के खिलाफ मजलिस पार्टी को नजदीक लेने के लिए और सरकार बचाने के लिए कांग्रेस ने उन्हें प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है।'
जी किशन रेड्डी ने कहा कि 'कांग्रेस ने चुनाव के दौरान तो ये प्रचार किया था कि भाजपा और AIMIM एक ही है। अब कौन एक है? लोगों को जवाब मिल गया है। कांग्रेस ने लोगों को भ्रमित करने के लिए झूठा प्रचार किया। AIMIM कभी भाजपा के साथ नहीं जाएगा। हम ऐसी पार्टी के साथ मिलकर कभी नहीं रहेंगे। असलियत आज लोगों के सामने है कि कांग्रेस और AIMIM एक ही है। हम शपथग्रहण का बहिष्कार कर रहे हैं।'
विवादों से घिरे रहे हैं अकबरुद्दीन ओवैसी :-
बता दें कि, बीते दिनों हुए चुनाव के प्रचार के दौरान अकबरुद्दीन का एक वीडियो सामने आया था। जिसमे अकबरुद्दीन औवेसी इंस्पेक्टर को डांटते हुए अपनी घड़ी की ओर इशारा करते नजर आ रहे हैं। अकबरुद्दीन ने पुलिस अफसर को धमकाते हुए कहा था कि, "इंस्पेक्टर साहब, मेरे पास एक घड़ी है। कृपया यहां से चले जाइए। क्या आपको लगता है कि चाकुओं और गोलियों का सामना करने से मैं कमजोर हो गया? मुझमें बहुत साहस है। पांच मिनट बचे हैं और मैं कहूंगा कि पांच मिनट के लिए। मुझे कोई नहीं रोक सकता। अगर मैं इशारा कर दूं कि आपको यहाँ से भागना पड़ेगा। दौडाऊं क्या ? ऐसे लोग आते हैं और हमें कमजोर करते हैं।'' बाद में वीडियो के सिलसिले में ओवैसी के खिलाफ कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था, हालाँकि कार्रवाई कुछ नहीं हुई।
हैदराबादी चचा का पैगाम
— Chandra Pandey (@PandeyChandra96) December 23, 2021
जब मोदी पहाड़ों पर चले जाएंगे, जब योगी मठ में चले जाएंगे
तब तुम्हें बचाने कौन आएगा ? हम मुसलमान कुछ नहीं भूले हैं।
अब फैसला आपको करना है। pic.twitter.com/G8LfJ9lqUh
बता दें कि, इससे पहले भी अकबरुद्दीन ने एक रैली में मंच से कहा था कि, ''हिन्दुओं तुम 100 करोड़ हो न, हम (मुस्लिम) 25 करोड़ हैं न, बस 15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो, बता देंगे किसमे कितना दम है, कौन ताकतवर है।'' उस समय भी उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ था, लेकिन केस दर्ज होने के आलावा कार्रवाई कुछ नहीं हुई। अब भी अकबरुद्दीन के बड़े भाई असदुद्दीन ओवैसी मंचों से ''15 मिनट, 15 मिनट..'' बोल-बोलकर उस बयान की याद दिलाते रहते हैं और उनके समर्थक तालियां पीटते रहते हैं। खुद असदुद्दीन ओवैसी यूपी में एक रैली में कह चुके हैं कि, ''जब मोदी पहाड़ों में चले जाएंगे, योगी मठ में चले जाएंगे, तब तुम्हे कौन बचाने आएगा, हम भूलेंगे नहीं, मुसलमान सब याद रखेगा, वक्त बदलेगा इंशाल्लाह, अल्लाह अपनी ताकत के जरिए तुमको नेस्तनाबूद करेगा।'' असदुद्दीन के बयान पर भी बवाल मचा और ठंडा हो गया, कार्रवाई कुछ नहीं। अब जब अकबरुद्दीन ओवैसी को कांग्रेस सरकार ने प्रोटेम स्पीकर बनाया है, तो संभावना यही है कि उनके खिलाफ पुलिस अधिकारी को धमकाने के मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं होगी। ये भी हो सकता है कि, तुष्टिकरण की राजनीति के चलते अकबरुद्दीन को और छूट दे दी जाए।
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