मुंबई: सर्वोच्च न्यायालय में ‘शिवसेना किसकी‘ को लेकर केस चल रहा है। अदालत में आज बुधवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी तथा अब मामले की सुनवाई कल बृहस्पतिवार को भी होगी। कल की सुनवाई में पहले एकनाथ शिंदे की तरफ से अधिवक्ता दलील देंगे। कल पहले नंबर पर मामले की सुनवाई होगी। इससे पहले उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से दलील पेश करते हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि आज भी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे हैं। एकनाथ शिंदे को नई पार्टी बनानी होगी, या किसी अन्य पार्टी के साथ विलय करना होगा।
कपिल सिब्बल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, “अब अहम बात यह है कि दो तिहाई लोग नहीं बोल सकते कि वे मूल सियासी दल हैं। पैरा 4 (10वीं अनुसूची का) इसकी इजाजत नहीं देता है।” उन्होंने कहा, “वे तर्क दे रहे हैं कि वे असली पार्टी हैं। जबकि कानूनन यह मंजूर नहीं है। क्या वे चुनाव आयोग के सामने कबूल करते हैं कि विभाजन हुआ है। इस पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा ने कहा कि अलगाव उनके लिए बचाव नहीं है।
आगे सिब्बल ने कहा कि 10वीं अनुसूची में “मूल राजनीतिक दल” की परिभाषा को संदर्भित किया गया है “मूल राजनीतिक दल”, एक सदन के सदस्य के संबंध में है। पैरा 2 में बताया गया है, “एक सदन के एक निर्वाचित सदस्य को उस सियासी दल से संबंधित माना जाएगा, अगर कोई हो, जिसके द्वारा उसे ऐसे सदस्य के तौर पर चुनाव के लिए प्रत्याशी के तौर पर खड़ा किया गया था।” उन्होंने कहा कि कर्नाटक विधानसभा मामले में इस कोर्ट ने कहा कि पार्टी सदस्यता राशि का त्याग आचरण से अनुमान लगाया जा सकता है। यहां उन्हें पार्टी की बैठक के लिए बुलाया गया, वे सूरत गए एवं फिर गुवाहाटी चले गए। उन्होंने डिप्टी स्पीकर को लिखा, अपना व्हिप नियुक्त किया। आचरण से उन्होंने (शिंदे समूह) पार्टी की सदस्यता छोड़ दी है। वे मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते। 10वीं अनुसूची इसकी इजाजत नहीं देती है।
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