नई दिल्ली : राजनीति में कोई निश्चितता नहीं रहती है. इसमें परिस्थतियों के मुताबिक फैसले बदले जाते हैं . ऐसा ही कुछ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की बात कहकर अस्तित्व में आई आम आदमी पार्टी के साथ हो रहा है जो अपना अस्तित्व बचाने के लिए अब कांग्रेस से हाथ मिलाने को बेचैन हो रही है.इस बेचैनी की मुख्य वजह वोट शेयर में लगातार कमी आना है .
बता दे कि पिछले 6 महीनों में आम आदमी पार्टी में बड़ी तब्दीली देखी जा रही है . पहले उसने लगभग सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और फिर उनसे माफ़ी भी मांगी. अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए आप पार्टी ने हाल ही में 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा है. आप का यह यू टर्न देखकर सब चकित हैं , क्योंकि यही आप पार्टी थी जिसने कांग्रेस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार-विरोधी मुहिम चलाकर अपनी पार्टी की बुनियाद रखी थी.
यदि आम आदमी पार्टी के इस प्रस्ताव पर गौर करें तो यह राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के खिलाफ बनने वाले महागठबंधन में अपनी जगह तलाश रही है, क्योंकि आप का वोट शेयर लगातार घट रहा है.इससे आप को तो कुछ फायदा हो सकता है , लेकिन कांग्रेस को बहुत फायदा नहीं होगा ,क्योंकि दिल्ली के बाहर हुए विधानसभा के नतीजों में आप लगातार खत्म होने की तरफ बढ़ रही है. कांग्रेस का साथ लेकर वह सिर्फ अपना वजूद बचाना चाहती है.
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