कहते हैं जीवन में शादी करना हर किसी का सपना होता है और सभी उसी से शादी करना चाहते हैं जिसे वह पसंद करते हैं. ऐसे में सनातन धर्म में विवाह किए जाने पर गोत्र मिलाए जाते हैं और अगर गोत्र आपस में मिलते हैं तो शादी नहीं हो पाती है. जी हाँ, कहते हैं अगर गोत्र एक जैसे हो तो विवाह नहीं होता है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि ऐसा क्यों होता है.
जी हाँ, आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि गोत्र देखकर शादी क्यों करते हैं और गोत्र मिलने पर शादी क्यों नहीं होती है. आप सभी को बता दें कि हिंदू धर्म के अनुसार शादी से पहले गोत्र मिलाने बहुत जरूरी होते हैं क्योंकि समान गोत्र वाले 1 लड़के और लड़की की शादी कभी नहीं हो सकती है क्योंकि सनातन धर्म के अनुसार वह दोनों ही भाई बहन माने जाते हैं कहते हैं इस कारण से वह दोनों पति पत्नी नहीं बन सकते हैं. वहीं समान गोत्र में शादी न करने के बहुत से कारण है जिनमे से यह एक है.
इसी के साथ कहते है अगर समान गोत्र में होने वाले लड़के और लड़की की शादी हो जाती है तो उनकी संतान कभी भी नॉर्मल नहीं होती है या तो वह विकृत होती है या फिर मानसिक तौर पर अपंग हो जाती है. इसी के साथ कहा जाता है एक लड़का और एक लड़की के विवाह से पूर्व तीन गोत्र ऐसे हैं जिन्हें ध्यान में रखते हुए शादी तय करते हैं. इनमे पहला गोत्र विवाह करने वाले लड़के या लड़की का होता है और दूसरा उनके माता और पिता का और तीसरा गोत्र इन की दादी का देखा जाता है. वहीं अगर इन तीनों में से कोई भी गोत्र लड़का या लड़की के परिवार या उनसे मिलता है तो रिश्ता टूट जाता है और तय नहीं हो पाता है. इसी के साथ बात करें सनातन धर्म की तो उसके अनुसार 7 पीढ़ियों के बाद गोत्र बदल जाते हैं और यदि एक लड़का और एक लड़की 7 गोत्र के बाद उस गोत्र को दोबारा से दोहराते हैं तो उस गोत्र में उन दोनों की शादी करवाई जा सकती है.
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