आखिर क्यों बिना पतलून के सड़कों और ट्रेन में घूम रहे लोग

आखिर क्यों बिना पतलून के सड़कों और ट्रेन में घूम रहे लोग
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ये बात तो हमेशा ही बहुत ही ज्यादा नार्मल होती है कि लोग कमर के ऊपर के कई कपड़े नहीं पहनते, लेकिन क्या कभी आपने ऐसा देखा और सुना है कि लोगों ने कमर के नीचे केवल जूते और मोज़े ही पहने हो, लेकिन उसके अलावा कुछ भी नहीं शिवाए एक इनरवियर के. ऐसा ही कुछ लंदन की मेट्रो में देखने के लिए मिला जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ है.  ये स्थिति तब थी जब अभी लंदन का टेम्प्रेचर शून्य से नीचे आ चुका है. इतना ही नह बीते रविवार को लंदन का औसत टेम्प्रेचर 4 से माइनस 3 डिग्री तक रहने वाला है. 

खबरों का कहना है कि उत्सवप्रेमी लंदनवासी रविवार को लंदन ट्यूब नो टर्जर डे को सेलिब्रेट कर रहे है. यानी कि वो दिन जब उन्हें लंदन मेट्रो में पजामा, पतलून, पैंट नहीं पहना हुआ था. खबरों का कहना है कि लंदन में मेट्रो को ट्यूब बोला जा रहा है.  मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि बीते  रविवार को लंदन में  साउथ केनसिंगटन, चाइनाटाउन, वेस्टमिनिस्टर, वाटरलू, जैसे मेट्रो स्टेशनों पर ऐसे सैकड़ों पुरुष और महिलाएं दिखीं जिन्होंने पतलून या पजामा नहीं पहना हुआ है.

जनवरी वर्ष 2002 में न्यूयॉर्क में मात्र 7 लोगों के साथ शुरू हुआ यह क्रेज विश्वभर में फैल गया और इस वर्ष लंदन में आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ों प्रतिभागी भी जुड़ गए.  इस क्रेज का कॉन्सेप्ट देखने वाले चार्ली टोड ने मीडिया से बोला है कि "इसका अहम् उद्देश्य खुशी, आनंद और उलझन के अप्रत्याशित क्षणों का सृजन करना होता है." उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि "मैं इस परंपरा को जीवित देखकर बहुत खुश हूं, इसका उद्देश्य बिना उद्देश्य के हानिरहित मनोरंजन करने जा रहे है. 

इतना ही नहीं अपने कार्यक्रम का मकसद बताते हुए चार्ली टोड ने इस बारें में बोला है कि "निश्चित रूप से, हम ऐसे माहौल में रह रहे हैं जहां लोग सांस्कृतिक युद्ध लड़ना पसंद करते हैं और न्यूयॉर्क में मेरा नियम हमेशा से यही रहा है कि मेरा लक्ष्य अन्य लोगों का मनोरंजन करके उनका दिल जीतना है, लोगों को हंसाना है.  इतना ही नहीं यह किसी को भड़काने या परेशान करने के लिए नहीं है, इसलिए उम्मीद है कि यह भावना जारी रहने वाला है."

वहीं अब ये भी कहा जा रहा है कि लंदन के चाइनाटाउन मेट्रो स्टेशन एंट्री गेट पर कई दर्जन लोग बर्फीली सड़कों से होते हुए मध्य लंदन के पिकाडिली सर्कस अंडरग्राउंड स्टेशन पहुंच गए, जहां वह अपनी पहली ट्रेन में सवार हुए. यहां उन्होंने पूरे कपड़े पहन रखें है. इतना ही नही लोग ग्रुप में अंदर आ रहे है. यहां एकमात्र परेशानी ये थी कि ठंड के मौसम की वजह से मेट्रो के डिब्बे इतने भरे थे कि कुछ लोगों के पास अपनी पतलून उतारने तक का स्थान नहीं था. इतना ही नहीं वह किसी तरह कामयाब हो गए. 

इतना ही नहीं कुछ रिपोर्ट्स में तो ये भी कहा गया है कि लंदन के इन क्रेजी लोगों ने प्लेटफार्म पर पोज देते हुए दिखाई दिए , ट्रेनों में सफर किया और सेल्फी लेते हुए दिखाई दिए. मेट्रो में सवार कई लोगों को इस बारे में सूचना ही नहीं थी इसलिए जब भी उन्होंने बिना पजामे के लड़के-लड़कियों को देखा उन्हें इतनी हैरानी हुई जिसके बारें में किसी ने सोचा भी नहीं होगा. 

अब तक मिली जानकारी के अनुसार  बिना पतलून का दिन सेलिब्रेट करने की परंपरा विश्व भर में है. इस दिवस को वार्सा, बर्लिन, प्राग, येरुशलम और वाशिंगटन DC में सेलिब्रेट किया जा रहा है, न्यूयॉर्क में ये उत्सव 2002 में हुआ लेकिन लंदन पहुंचते पहुंचते 2009 की शुरुआत आ गई. इतना ही नहीं इस क्रेज में पहुंचीं मिरियम कोरीया का एक और उद्देश्य था. 43 साल की शेफ मिरियम इसलिए आना चाह रही है क्योंकि उन्होंने पहले बिना पैंट के राइड की फोटोज भी देखी गई, जिनमें बहुत ही पतली सी, कम कपड़े पहने हुए महिला थी. खबरों का कहना है कि इस बारें में उन्होंने आगे बोला है कि  'मैं एक असली महिला हूँ,' उन्होंने यह भी कहा कि अपने साइज को लेकर शर्मिंदा होने की कोई वजह नहीं है. 'सभी शरीर परिपूर्ण होते हैं.'

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