कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को अपने पिता राजीव गांधी की जयंती के कार्यक्रमों को छोड़कर रायबरेली के नसीराबाद क्षेत्र के पिछवारिया गांव का दौरा किया। यहां अर्जुन पासी नामक व्यक्ति की हाल ही में हत्या कर दी गई थी। राहुल गांधी ने भारी बारिश की परवाह किए बिना मृतक के परिवार से मुलाकात की और उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।
अर्जुन पासी की हत्या का मामला
11 अगस्त को अर्जुन पासी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या का विवाद नवीन सिंह के साथ हुआ था, और इस मामले में सात लोगों को नामजद किया गया था, जबकि पांच अन्य अज्ञात आरोपित थे। पुलिस ने 13 अगस्त को छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन सातवां आरोपी विशाल सिंह अभी भी फरार है। इस मामले ने अब एक जाति संघर्ष का रूप ले लिया है, जिसमें करणी सेना ने आरोपी के पक्ष में उतरकर मामले को और जटिल बना दिया है।
राहुल गांधी का दौरा और न्याय की मांग
राहुल गांधी ने अर्जुन पासी के परिवार से मुलाकात की और उन्हें न्याय दिलाने की गारंटी दी। उन्होंने कहा कि वह यहां एक दलित परिवार की रक्षा के लिए आए हैं और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इसके बाद राहुल गांधी ने रायबरेली की डीएम हर्षिता माथुर और एसपी अभिषेक अग्रवाल से फोन पर बात की और मामले में सख्त कार्रवाई करने की सलाह दी।
सियासी रणनीति और जाति आधारित गोलबंदी
कांग्रेस पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगी हुई है और उत्तर प्रदेश में दलित वोटों को अपने पक्ष में लाने के प्रयास कर रही है। राहुल गांधी ने पहले ही पिछड़ा और दलित कार्ड खेला था, जो सियासी रूप से सफल रहा। अब कांग्रेस ने पासी समुदाय को साधने की रणनीति अपनाई है। रायबरेली और अमेठी में पासी समुदाय के वोटरों की महत्वपूर्ण भूमिका है, और कांग्रेस का लक्ष्य है कि वे इन समुदायों के बीच अपनी स्थिति मजबूत करें।
सपा की भी नजर
सपा भी पासी समुदाय को अपने पाले में लाने के प्रयास में है। सपा के नेता अवधेश प्रसाद और आरके चौधरी जैसे नेताओं ने भी इस मामले पर ध्यान दिया है। अखिलेश यादव ने भी पासी समुदाय के लोगों को जोड़ने के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजा है। राहुल गांधी का रायबरेली दौरा और अर्जुन पासी के परिवार के साथ उनकी मुलाकात कांग्रेस की दलित और पिछड़ा वर्ग के वोटरों को साधने की रणनीति का हिस्सा है। दोनों प्रमुख दल, कांग्रेस और सपा, उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए दलित वोटों को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहे हैं।
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