जिन 3 आपराधिक कानूनों की CJI चंद्रचूड़ ने की तारीफ, उन्हें लागू होने से क्यों रोक रहीं TMC और कांग्रेस ?

जिन 3 आपराधिक कानूनों की CJI चंद्रचूड़ ने की तारीफ, उन्हें लागू होने से क्यों रोक रहीं TMC और कांग्रेस ?
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नई दिल्ली: कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने आज शनिवार को मांग करते हुए कहा कि एक जुलाई से लागू होने वाले तीन आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों को संसद में जबरन पारित किया गया था। दरअसल, जब ये बिल पास हो रहे थे, तब विपक्ष संसद में विरोध प्रदर्शन कर रहा था, हालाँकि, बिल तो पास हो गए, लेकिन अब सीएम ममता बनर्जी के बाद कांग्रेस ने भी इन्हे लागू होने से रोकने की मांग कर दी है। 

एक्स पर एक पोस्ट में रमेश ने कहा कि इन विधेयकों के क्रियान्वयन को स्थगित किया जाना चाहिए ताकि गृह मामलों की पुनर्गठित स्थायी समिति द्वारा इनकी गहन समीक्षा और पुनःपरीक्षण किया जा सके, क्योंकि इन्हें ऐसे समय पारित किया गया है जब 146 सांसदों को निलंबित किया गया है। रमेश ने कहा कि, "25 दिसंबर 2023 को भारत की राष्ट्रपति ने भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 को अपनी मंजूरी दे दी थी। तीनों दूरगामी विधेयकों को संसद में बिना उचित बहस और चर्चा के पारित कर दिया गया और वह भी ऐसे समय में जब लोकसभा और राज्यसभा से 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था।"

उन्होंने कहा, "इससे पहले इन विधेयकों को गृह मामलों की स्थायी समिति द्वारा देश भर के हितधारकों के साथ विस्तृत बातचीत किए बिना ही पारित कर दिया गया था तथा स्थायी समिति के सदस्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के कई सांसदों के लिखित और बहुत विस्तृत असहमति नोटों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया था।" रमेश ने कहा कि तीनों नए कानून एक जुलाई, 2024 से प्रभावी होंगे और कांग्रेस का दृढ़ मत है कि इस तिथि को स्थगित किया जाना चाहिए ताकि गृह मामलों की पुनर्गठित स्थायी समिति कानूनों की गहन समीक्षा और पुनः परीक्षण कर सके।

उन्होंने कहा कि समिति को विभिन्न कानूनी विशेषज्ञों और संगठनों के साथ अधिक व्यापक और सार्थक परामर्श करना चाहिए, "जिन्हें तीनों कानूनों के संबंध में गंभीर चिंताएं हैं", जिसके बाद 18वीं लोकसभा और राज्यसभा द्वारा भी इसकी जांच की जानी चाहिए। शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तीनों आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित करने की मांग की थी और कहा था कि इन्हें "जल्दबाजी में पारित किया गया है।" डीएमके ने भी इसी तरह की मांग की है।

3 नए आपराधिक कानूनों पर क्या बोले थे CJI चंद्रचूड़ :-

भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने तीन नए आपराधिक कानूनों  की तारीफ की थी। उन्होंने अधिनियमन की सराहना की और इसे "एक महत्वपूर्ण क्षण" बताया। उन्होंने यह भी कहा कि ये नए कानून बदलते भारत का "स्पष्ट संकेत" हैं। 'आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत का प्रगतिशील मार्ग' विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए CJI चंद्रचूड़ ने कहा था कि, "मुझे लगता है कि संसद द्वारा तीन नए आपराधिक कानूनों का पारित होना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत बदल रहा है। भारत आगे बढ़ रहा है, और हमें अपने समाज के भविष्य के लिए मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए नए कानूनी साधनों की आवश्यकता है।'' 

उन्होंने कहा था कि, "ये कानून हमारे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण हैं, क्योंकि कोई भी कानून हमारे समाज के दैनिक आचरण को आपराधिक कानून की तरह प्रभावित नहीं करता है । भारत तीन नए आपराधिक कानूनों के आगामी कार्यान्वयन के साथ अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव के लिए तैयार है।"  नए आपराधिक कानूनों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि पीड़ितों के हितों की रक्षा करने और अपराधों की कुशलतापूर्वक जांच और अभियोजन चलाने के लिए ये बदलाव बहुत जरूरी थे।

CJI ने कहा था कि, "इसका स्वाभाविक अर्थ यह है कि हमें अपने फोरेंसिक विशेषज्ञों की क्षमता निर्माण में भारी निवेश करना चाहिए, जांच अधिकारियों को प्रशिक्षण देना चाहिए और अपनी न्यायिक प्रणाली में निवेश करना चाहिए। नए आपराधिक कानून के प्रमुख प्रावधान तभी सकारात्मक प्रभाव डालेंगे जब ये निवेश जल्द से जल्द किए जाएं।"

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