इस वजह से कुँवारी लड़कियों को नहीं करना चाहिए शिवलिंग की पूजा

इस वजह से कुँवारी लड़कियों को नहीं करना चाहिए शिवलिंग की पूजा
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आप सभी को बता दें कि देवों के देव महादेव देवताओं में सबसे श्रेष्ठ देव माने जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि शिवलिंग की पूजा करना व उसे छूना कुंवारी नारियों के लिए निषेध माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं आखिर क्या है इसके पीछे की वजह.

1. कहते हैं लिंगम एक साथ योनि (जो देवी शक्ति का प्रतीक है व महिला की रचनात्मक ऊर्जा है) का प्रतिनिधित्व करता है और शास्त्रों के अनुसार शिवपुराण में लिखा है यह एक ज्योति का प्रतीक है इस कारण से शिवलिंग की पूजा सिर्फ पुरुष के द्वारा संपन्न होनी चाहिए न कि नारी के द्वारा.

2. वहीं ऐसा भी माना जाता है कि अविवाहित स्त्री को शिवलिंग के करीब जाने की आज्ञा नहीं है और इसके चारों ओर भी अविवाहित स्त्री को नहीं घूमना चाहिए क्योंकि भगवान शिव बेहद गंभीर तपस्या में व्यस्त रहते हैं और उनके पास किसी भी नारी का जाना वर्जित है.

3. ऐसा भी माना जाता है कि देवों के देव महादेव की तंद्रा भंग न हो जाए इस कारण से उनकी पूजा स्त्रियों को करने से मना किया जाता है.

4. कहते हैं अगर महिलाएं लगातार 16 सोमवार भगवान शिव का व्रत रखती हैं तो कुंवारी महिलाओं को अच्छा वर प्राप्त होता है वहीं विवाहित महिलाओं के पति नेक मार्ग पर चलते हैं.

5. आप सभी को बता दें कि वृषभ शिव का वाहन है. वह हमेशा शिव के साथ है. वृषभ का अर्थ धर्म है. मनुस्मृति के अनुसार 'वृषो हि भगवान धर्म:'. वेद ने धर्म को चार पैरों वाला प्राणी कहा है. उसके चार पैर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं. महादेव इस चार पैर वाले वृषभ की सवारी करते हैं यानी धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष उनके अधीन हैं.

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