कोलकाता: बंगाल को दिया जाने वाला ‘मनरेगा’ (MGNREGA) स्कीम का पैसा क्यों रोका गया है? कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से इसका जवाब माँगा है. इसके साथ ही कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को फर्जी नाम का उपयोग कर फर्जी खाते से पैसे निकालने के आरोपों की गहन जांच सुनिश्चित करने के लिए कहा है. मनरेगा योजना की राशि बंगाल को नहीं मिलने को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका में कलकत्ता उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया है.
दरअसल, कलकत्ता उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में कहा गया है कि मनरेगा योजना के तहत राज्य को लगभग 2700 करोड़ रुपये मिलने हैं, मगर प्रदेश को केंद्र ने इन रुपयों से वंचित रखा है. इससे मनरेगा के काम से संबंधित लोगों को समस्या हो रही हैं. अदालत ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि केंद्र सरकार, राज्य की ‘कार्रवाई’ रिपोर्ट को स्वीकार या अस्वीकार करें, मगर कुछ तो किया जाना चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार को 10 दिन में रिपोर्ट देने को कहा है. मामले में अगली सुनवाई जुलाई में होने वाली है. बता दें कि बंगाल की ममता बनर्जी सरकार निरंतर केंद्र सरकार पर मनरेगा स्कीम का पैसा नहीं देने का इल्जाम लगा रही है. इस संबंध में बंगाल का एक प्रतिनिधिमंडल, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से मिलने भी गया था. वहीं, CM ममता बनर्जी ने 100 दिन के बकाए को लेकर कोलकाता में दो दिनों तक धरना प्रदर्शन भी किया था.
मनरेगा में भ्रष्टाचार, इसलिए पैसे नहीं दे रहा केंद्र:-
बंगाल सरकार से उलट इस मामले में भाजपा प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा है कि, ‘वह बहुत अच्छे से जानते हैं कि केंद्र सरकार पैसा क्यों नहीं दे रही है.’ उन्होंने कहा कि 294 केंद्रों पर उम्मीदवार होने के साथ ही सभी पंचायतों में 100 दिन के काम के पैसे में भ्रष्टाचार हुआ हैं. यह कोई दूसरी सरकार नहीं है. भाजपा और मोदी सरकार का एक ही नारा है, मैं भ्रष्टाचार नहीं करूंगा, मैं भ्रष्टाचार नहीं होने दूंगा. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मनरेगा योजना के तहत खर्च की गई धनराशि का बंगाल सरकार हिसाब नहीं दे रही है. सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) समर्थकों को इस योजना से गलत तरीके से फायदा पहुँचाया गया है.
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