दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विधानसभा में नारे लगाने और पर्चे फेंकने वाले दो लोगों से पूछा कि आप लोग भगत सिंह की तरह व्यवहार क्यों कर रहे थे.
बता दें कि इन दोनों को दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने 30 दिन के सश्रम कारावास की सजा के लिए जेल भेजने का आदेश दिया था. बता दें कि इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति नाजमी वजीरी की पीठ कर रही है. अदालत ने दोनों को जेल भेजने के सदन के अध्यक्ष के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका की विचारणीयता पर भी सवाल उठाए क्योंकि यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका है और इसमें उन नियमों पर प्रहार नहीं किया गया जिसके तहत उन्हें विशेषाधिकार के हनन और अदालत की अवमानना के लिये जेल भेजा गया.
उल्लेखनीय है कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, उसे अदालत के समक्ष पेश करने की गुजारिश की जाती है,ताकि यह तय हो सके कि उसकी हिरासत वैध थी या अवैध.अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जो आरोप लगाया है उसके अनुसार राज्य द्वारा अवैध हिरासत में लेने का मुद्दा गंभीर मामला है. इस मामले में कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने उन नियमों को चुनौती नहीं दी , जिसके तहत विधानसभा अध्यक्ष ने फैसला किया. इसलिए याचिका में संशोधन सहित अन्य उठाए जाने वाले क़दमों पर निर्णय करने के लिये पीठ ने उन्हें कल तक का समय दिया. याचिकाकर्ताओं की पैरवी अधिवक्ता प्रदीप राणा ने की.
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