अक्सर छोटे बच्चों में चिकनपॉक्स की बीमारी हो जाती है. इस बीमारी को हम चेचक भी कहते हैं और भारत के अधिकतर लोग इसे माता भी कहते हैं. अब ये किसी को समझ में नहीं आता कि इस बीमारी को माता क्यों कहते हैं. शायद आप भी नहीं जानते होंगे इस बारे में. तो चलिए आज आपको इस बात से रूबरू करवा देते हैं हम. इसे माता बोलने के पीछे कई सारे भ्रम हैं हैं या ये कहें तरह-तरह के कारण माने जाते हैं. वही आज हम आपको बताने जा रहे हैं जो पुरे देश में प्रचलित हैं.
सिर्फ गाँव ही नहीं बल्कि शहर के लोग भी इसे हिंदी में माता ही कहते हैं. तो आपको बता दे, चिकनपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जो खसरा के फैलने से होती हैं. ये सीधे-सीधे 'हाइजीन' से जुड़ी हुई है. इसे माता की सजा कहा जाता है और इस दौरान दवाई भी लेना मना होता है. जब चेचक किसी को भी होता है तो उस समय सिर्फ नीम की डालियाँ या फिर नीम के पत्ते से ही उपाय किया जाता है. दरअसल, इस बीमारी के चलते मरीज को ले जा कर शीतला माता की पूजा की जाती है जिससे उनका प्रकोप ठंडा होता है. इसलिए भी इस बीमारी को माता कहा जाता है.
शीतला माता के एक हाथ में झाड़ू और दूसरे हाथ में पवित्र जल का पात्र होता है और इसी झाड़ू से माता रोग देती है और सही पूजा और सफाई रखने से और साफ़ जल से बीमारी को खत्म भी कर देती है. इसमें शीतला अष्टमी भी बनाई जाती है। इस खास दिन पर घर में कुछ भी गर्म नहीं पकाया जाता है और माता के भोग के लिए भी खाना एक दिन पहले पकाया जाता है. साथ ही ये कहते हैं कि इसी के बाद माता अपनी सजा से इंसान को मुक्त कर देती है.
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