विश्व में शायद ही ऐसा कोई सख्स होगा, जो चीन की भव्य दीवार से परिचित नहीं होगा. पूरी दुनिया से लोग इस दीवार को देखने के लिए आते हैं. कहा तो यह भी जाता है कि यह दीवार अंतरिक्ष से भी दिखती है. इंग्लिश में 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' के नाम से जाने जानी वाली यह दीवार विश्व के सात अजूबों में सम्मिलित है. इसका कारण ये है कि यह विश्व की भी सबसे लंबी दीवार है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दीवार को 'विश्व का सबसे बड़ा कब्रिस्तान' भी कहा जाता है, परन्तु क्यों? आइए जानते हैं इसके पीछे की हैरान करने वाली कहानी...
इस दीवार के बनने की स्टोरी कोई दो चार सौ वर्ष नहीं बल्कि हजारों वर्ष पुरानी है. वैसे तो ऐसी दीवार बनाने की कल्पना चीन के पूर्व सम्राट किन शी हुआंग ने की थी, किन्तु वो ऐसा कर नहीं सके थे. उनके मरने के सैकड़ों वर्ष पश्चात् दीवार का निर्माण कार्य शुरू किया गया. माना जाता है कि इसे बनाने का आरम्भ ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी में हुई थी, जो 16वीं शताब्दी तक चली. इसका निर्माण एक नहीं बल्कि चीन के कई राजाओं ने भिन्न-भिन्न वक़्त में करवाया है.
साथ ही कहा जाता है कि इस दीवार का निर्माण विपक्षियों से चीन की रक्षा करने के लिए किया गया था, किन्तु ऐसा हो नहीं सका था. 1211 ईस्वी में मंगोल शासक चंगेज खान ने एक स्थान से दीवार को तोड़ दिया था, तथा उसे पार कर चीन पर वॉर कर दिया था. वही चीन में इस दीवार को 'वान ली चैंग चेंग' के नाम से जाना जाता है. कहते हैं कि इस दीवार की चौड़ाई इतनी है कि इसपर एक साथ 5 घोड़े या 10 पैदल सैनिक चल सकते हैं. इसे यूनेस्को द्वारा दुनिया धरोहर ऐलान किया गया है. इसी के साथ ये दीवार बेहद ही रहस्य्मयी है.
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