आसमान में लंबे-चौड़े आकार के बादल अक्सर चलते हुए नजर आते हैं. ऐसा क्यों होता है? दरअसल, इनके चलने का कारण हवा है. जब हम छोटे थे तब अक्सर इन बादलों को खुद के साथ-साथ चलता हुआ पाते थे. धरती हमेशा एक ही दिशा में घूमती है, लेकिन बादल नहीं. अगर बादल नहीं चलते, तो ये भी पृथ्वी की तरह एक ही दिशा में घूमते. बादल बनने में कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटे तक लग सकते हैं. बादल में मौजूद पानी समुद्रों, नदियों, तालाबों और झीलों से आता है.
यह देखने में हल्का लगता है, लेकिन इसमें भी वजन होता है. यह एक से डेढ़ किलोमीटर लंबा-चौड़ा हो सकता है. बादल सूर्य की रोशनी को रिफ्लेक्ट करते हैं, इसलिए ये सफेद दिखाई देते हैं. ये लगभग 146 फीट प्रति सेकंड की गति से दौड़ सकते हैं. जब अरबों पानी की बूंदों से बादल मोटे हो जाते हैं, तब सूर्य की रोशनी से इनमें चमक नहीं आ पाती. ऐसे में ये स्लेटी नजर आने लगते हैं. बादलों का स्लेटी होना यानी बारिश का होना.
जियोग्राफी में बादलों के अलग-अलग शेप और साइज को लेकर अलग-अलग तरह का वर्णन दिया गया है. वैसे ही पेंटर्स द्वारा बनाये गए बादलों को भी अलग-अलग नाम दिया जाता है.