कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत के उस आदेश को चुनौती देने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया है, जिसमें कथित मुडा (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) घोटाले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई है।
राज्यपाल का आदेश और मंत्रिपरिषद की प्रतिक्रिया
राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने हाल ही में मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी। इसके लिए उन्होंने कैबिनेट की राय ली। गुरुवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में, मंत्रियों ने राज्यपाल को कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी और इसे बहुमत से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करार दिया। बावजूद इसके, राज्यपाल ने कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी।
मुडा घोटाले का मामला
मुडा (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) कर्नाटक की शहरी विकास एजेंसी है, जो शहरी विकास को बढ़ावा देने और किफायती आवास उपलब्ध कराने का काम करती है। 2009 में मुडा ने एक 50:50 योजना शुरू की थी, जिसके तहत जमीन खोने वाले लोगों को विकसित भूमि का 50% हिस्सा मिलने का प्रावधान था। यह योजना 2020 में बंद कर दी गई थी, लेकिन आरोप है कि इसके बावजूद मुडा ने इस योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा।
मुख्यमंत्री पर आरोप
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पार्वती पर आरोप है कि मुडा ने 50:50 योजना के तहत उनकी भूमि का अधिग्रहण किए बिना ही लाभ पहुंचाया। शिकायतकर्ताओं का दावा है कि मुख्यमंत्री की पत्नी की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि को मुडा ने अधिग्रहित किया और इसके बदले में उन्हें एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में उपहार के रूप में दी थी।
विपक्ष के आरोप
विपक्ष का आरोप है कि मुडा ने इन 14 साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती और मुख्यमंत्री की पत्नी को अनाधिकार लाभ दिया। विपक्ष का कहना है कि इस आवंटन में घोटाले की संभावना है और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की भूमिका संदिग्ध है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि वे इस मामले में न्याय के लिए हाईकोर्ट का रुख कर रहे हैं और राज्यपाल के आदेश को चुनौती दे रहे हैं। इस पूरे विवाद ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है और इसे लेकर कई स्तरों पर चर्चाएं जारी हैं।
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