दुनियाभर में कई कथाएं हैं जो प्रचलित है. ऐसे में महाभारत काल के बड़े योद्धाओं में घटोत्कच का भी नाम आता है और भीम के पुत्र घटोत्कच ने महाभारत में पांडवों की ओर युद्ध किया था और कौरवों की सेना को बहुत नुकसान पहुंचाने में कामयाब रहे थे. आपको बता दें कि घटोत्कच ने जब कौरवों की सेना को अत्यधिक नुकसान पहुंचाना शुरू किया तो दुर्योधन के कहने पर कर्ण ने दिव्यास्त्र का इस्तेमाल करते हुए उनका वध किया और घटोत्कच के मारे जाने से कौरव सेना में खुशी छा गई लेकिन पांडव बहुत दुखी हुए. आपको बता दें कि इस समय दिलचस्प ये था कि भगवान श्रीकृष्ण घटोत्कच के वध से बहुत खुश हुए, जिसे देख अर्जुन समेत पांडव हैरान थे. आइए जानते हैं घटोत्कच के वध से श्रीकृष्ण क्यों खुश थे?
घटोत्कच के वध से श्रीकृष्ण क्यों खुश थे? - अर्जुन ने जब घटोत्कच के मारे जाने के बाद श्रीकृष्ण से पूछा कि वे इतने खुश क्यों हैं तो उन्होंने कहा कि पांडवों की जीत के लिए यह बहुत जरूरी था. दरअसल, कर्ण के पास एक दिव्यास्त्र था और इसकी योजना थी कि वह इसका इस्तेमाल अर्जुन वध के लिए करेगा. सेनापति बनने के बाद कर्ण को अगले ही दिन अर्जुन से युद्ध करना था और वह इसके लिए तैयार था. इससे पहले ही हालांकि घटोत्कच के आक्रामक रवैये ने कौरव सेना को परेशान कर दिया. घटोत्कच तेजी से कौरव सेना का संहार कर रहे थे. यह देख दुर्योधन घबरा गया और उसने कर्ण को घटोत्कच के वध की जिम्मेदारी सौंपी. दुर्योधन ने कर्ण को दिव्यास्त्र भी इस्तेमाल करने को कहा.
कर्ण ने जब कहा कि उसने अर्जुन वध के लिए यह दिव्यास्त्र बचाकर रखा है तो दुर्योधन ने कहा कि जब सबकुछ पहले ही खत्म हो जाएगा तो दिव्यास्त्र बचाकर रखने का फायदा क्या है? आखिरकार कर्ण मान गया और उसने दिव्यास्त्र की मदद से घटोत्कच का वध कर दिया. श्रीकृष्ण इसी वजह से खुश थे कि कर्ण को आखिरकार अपने दिव्यास्त्र का इस्तेमाल करना पड़ा और इससे अर्जुन की जान बच गई.
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