लखनऊ: लोकसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी को उत्तर प्रदेश के दायरे से बाहर निकालकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इस प्रयास के तहत, सपा जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाग ले रही है, लेकिन यहाँ सपा का परंपरागत चुनाव चिन्ह साइकिल के बजाय लैपटॉप रखा गया है। यह बदलाव इसलिए हुआ क्योंकि सपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा नहीं मिला है और इसके चलते उसे जम्मू-कश्मीर में लैपटॉप चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया है।
जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 24 सीटों पर मतदान हो चुका है, लेकिन सपा का असली परीक्षण अगले दो चरणों में होगा। सपा अगले दो चरणों में कुल 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। दूसरे चरण में कश्मीर रीजन की 10 सीटों और जम्मू क्षेत्र की 5 सीटों पर मतदान होगा, जबकि तीसरे चरण में 5 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। दूसरे चरण के मतदान की तारीख 25 सितंबर और तीसरे चरण की 1 अक्टूबर है। उल्लेखनीय है कि, सपा को कश्मीर में अब तक कोई खास सफलता नहीं मिली है। 2008 और 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। 2008 में सपा ने 36 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी और सिर्फ 0.61 फीसदी वोट हासिल किए। 2014 में भी स्थिति खराब रही, जब पार्टी ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा और 0.10 फीसदी वोट मिले।
अखिलेश यादव के लिए जम्मू-कश्मीर में सपा के लिए एक नया चुनाव चिन्ह – लैपटॉप – चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। उन्होंने 2012 में यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान लैपटॉप देने का वादा किया था, लेकिन उसे पूरी तरह ना निभाने के कारण उनपर सवाल भी उठे थे। अब यह देखना होगा कि क्या इस चुनाव चिन्ह के जरिए वह कश्मीर में सफलता प्राप्त कर पाते हैं। सपा के उम्मीदवारों ने कश्मीर में अपने चुनाव प्रचार में अखिलेश यादव और सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की तस्वीरों का इस्तेमाल किया है और लोगों को यह समझाने की कोशिश की है कि सपा का चुनाव चिन्ह कश्मीर में लैपटॉप है। इसके अलावा, अखिलेश यादव की कश्मीर में एक रैली आयोजित करने की योजना भी बनाई गई है। हालांकि, सपा को जम्मू-कश्मीर में पहचान की कमी और भाजपा तथा कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच सीधे मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है, जो चुनावी माहौल को और चुनौतीपूर्ण बना रहा है।
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