शनिवार के दिन शनि देव का पूजन किया जाता है। ऐसे में शनिदेव अगर रूठ जाए तो बड़े नुकसान होते हैं और व्यक्ति के जीवन में बुरे प्रभाव पड़ते हैं लेकिन अगर शनिदेव खुश हो जाए तो सारी बला टल जाती है। वैसे अगर आप शनिदेव के भक्त हैं तो क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव ने शनिदेव को 19 सालों तक पीपल के पेड़ से उल्टा लटकाए रखा था। जी हाँ, सुनकर आपको यकीन तो नहीं हो रहा होगा लेकिन यह सच है और आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा।
पौराणिक कथा- शनि देव का वाहन गिद्ध है। कहा जाता है सूर्य देव ने अपने पुत्रों की योग्यतानुसार उन्हें विभिन्न लोकों का अधिपत्य प्रदान किया लेकिन पिता की आज्ञा की अवहेलना करके शनिदेव ने दूसरे लोकों पर भी कब्जा कर लिया। ऐसे में सूर्य देव के निवेदन पर भगवान शंकर ने अपने गणों को शनिदेव से युद्ध करने के लिए भेजा परंतु शनिदेव ने उन सभी को परास्त कर दिया। उसके बाद विवश होकर भगवान शंकर को ही शनिदेव से युद्ध करना पड़ा। कहा जाता है इस भयंकर युद्ध में शनिदेव ने भगवान शंकर पर मारक दॄष्टि डाली तब महादेव ने अपना तीसरा नेत्र खोलकर शनि तथा उनके सभी लोकों को नष्ट कर दिया।
केवल यही नहीं बल्कि भगवान भोलेनाथ ने अपने त्रिशूल के अचूक प्रहार से शनिदेव को संज्ञाशून्य कर दिया। उसके बाद शनिदेव को सबक सिखाने के लिए भगवान शंकर ने उन्हें 19 वर्षों के लिए पीपल के वृक्ष से उल्टा लटका दिया। कहा जाता है इन वर्षों में शनिदेव भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन रहे लेकिन पुत्रमोह से ग्रस्त सूर्य देव ने महादेव से शनिदेव का जीवनदान मांगा। उसके बाद भगवान भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर ना केवल शनिदेव को मुक्त कर दिया बल्कि अपना शिष्य बनाकर उन्हें संसार का दंडाधिकारी भी नियुक्त कर दिया।
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