हर साल आने वाला महाशिवरात्रि का पर्व इस साल 1 मार्च को मनाया जाने वाला है। ऐसे में आप सभी जानते ही होंगे शिव जी को श्मशान घाट बेहद ही प्रिय है और यही वजह है कि श्मशान घाट पर भगवान शिव जी की मूर्ति जरूर लगी होती है। केवल यही नहीं बल्कि भगवान शिव जी अपने शरीर पर शमशान घाट की भस्म को भी लगाया करते हैं। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि शिव जी शमशान घाट में निवास करते हैं और यहां उनके निवास स्थानों में से एक है हैं। अब आज हम आपको बताते हैं इसके पीछे की कथा।
पौराणिक कथा- एक कथा के अनुसार एक बार मां पार्वती जी ने महादेव जी से पूछा कि आप श्मशान क्यों जाया करते हैं और अपने शरीर में चिताओं की भस्म क्यों लगाया करते हैं। मां पार्वती के इन सवालों का जवाब देते हुए भगवान शिव जी ने कहा कि जब लोग श्मशान घाट में आते हैं तो उनके मुख से राम नाम निकलता है और ये नाम मुझे काफी प्रिय है। इसलिए में श्मशान जाकर इस शब्द को लोगों के मुंह से सुना करता हूं। श्मशान घाट में इतने लोगों के मुख से राम नाम का जाप करवाने में निमित्त बनने वाले शव का मैं सम्मान करता हूं और उसे प्रणाम करता हूं। उसके बाद जब शव को जला दिया जाता है तो उस शव की भस्म को मैं अपने शरीर पर लगा लेता हूं। बस ही कारण है कि मैं श्मशान घाट जाया करता हूं। भगवान शिव जी को राम नाम से बेहद ही लगाव था। एक बार जब भगवान शिव कैलश पार्वत पहुंचे, तो मां पार्वती से उन्होंने भोजन मांगा।
लेकिन मां पार्वती विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर रहीं थीं। जिसके कारण पार्वती जी ने शिव जी को भोजन के लिए कुछ समय इंतजार करने को कहा। लेकिन विष्णु सहस्रनाम पाठ बेहद ही बड़ा पाठ था और इसे पूरा पढ़ने में काफी समय मां पार्वती को लगने वाला था और भगवान शिव जी को बेहद ही तेज भूख लगी थी। तब उन्होंने इस समस्या का हल निकालते हुए मां पार्वती से कहा कि इस पाठ को पूरा करने में तुम्हें काफी समय लगने वाला है। तो क्यों ना तुम इस पाठ को संत लोगों की तरह छोटा कर लो। मां पार्वती ने शिव जी से पूछा कि आखिर वो कैसे विष्णु सहस्रनाम का पाठ छोटा कर सकती हैं। तब शिव जी ने मां पार्वती को बताया कि तुम बस केवल एक बार ‘राम’ नाम का जाप कर लो।
ऐसा करने से तुम्हें विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने जितना फल मिल जाएगा। शिव जी ने मां पार्वती को बताया कि एक ‘राम’ नाम हजार दिव्य नामों के समान है। इस वजह से इस नाम का जाप करना बेहद ही लाभदायक होता है। इंसान को राम नाम का जाप जरूर करना चाहिए। कहा जाता है ऐसा करने से उसे कई सारे पाठों को पढ़ने जितना लाभ मिलता है। इसी के साथ में ही इंसान को दूसरों को भी ‘राम’ नाम जपने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
श्रीमद् भगवद्गीता में लिखा है 'ज्ञान' से बड़ा 'कर्म' है
महाशिवरात्रि पर पहने इस रंग के कपड़े, शिव भगवान होंगे प्रसन्न
20 फरवरी के बाद डेढ़ माह तक नहीं हो सकेंगी शादियां, अस्त होंगे गुरु