मनमोहन के अस्थि विसर्जन में क्यों नहीं गया गांधी परिवार..! कांग्रेस ने जो कारण बताया, क्या वो सही?

मनमोहन के अस्थि विसर्जन में क्यों नहीं गया गांधी परिवार..! कांग्रेस ने जो कारण बताया, क्या वो सही?
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नई दिल्ली: रविवार (29 दिसंबर) को देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अस्थियों को सिख रीति-रिवाजों के मुताबिक यमुना नदी में प्रवाहित कर दिया गया। इस दौरान उनकी पत्नी गुरशरण कौर और उनकी तीनों बेटियां उपिंदर सिंह, दमन सिंह, और अमृत सिंह मौजूद रहीं। भाजपा की तरफ से वरिष्ठ नेता मनजिंदर सिंह सिरसा अस्थि विसर्जन के दौरान मौजूद रहे। परिवार के सदस्य पूरे गमगीन माहौल में अपने प्रियजन को अंतिम विदाई दे रहे थे। लेकिन एक परिवार जिसे हर किसी की नजरें खोज रही थीं, वह नदारद था – गांधी परिवार।  

 

दरअसल, राहुल गांधी ने हमेशा मनमोहन सिंह को अपना गुरु और पिता समान बताया है, लेकिन वे इस बेहद भावुक और अहम पल में मौजूद नहीं थे। यही नहीं, गांधी परिवार का कोई और सदस्य भी अस्थि विसर्जन में दिखाई नहीं दिया। यह बात ना केवल लोगों को चुभी, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए कांग्रेस पर हमला बोलने का नया मुद्दा बन गई। भाजपा ने राहुल गांधी की अनुपस्थिति को लेकर सीधे निशाना साधा। पार्टी के IT हेड अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि, "यह बेहद दुखद है कि कांग्रेस या गांधी परिवार का एक भी सदस्य मनमोहन सिंह की अस्थियां लेने नहीं आया। राजनीति के लिए कांग्रेस हमेशा आगे रहती है, लेकिन जब सम्मान देने की बात आती है, तो वे गायब हो जाते हैं। यह शर्मनाक है।" सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी अटल जी के अस्थि विसर्जन का दृश्य दिखाते हुए सवाल उठाए कि जहाँ अटल की के कार्यक्रम में पूरी भाजपा मौजूद थी, वहीं डॉ मनमोहन के परिवार को कांग्रेस ने इस दुःख की घड़ी में अकेला छोड़ दिया।

 

राहुल गांधी की इस गैरमौजूदगी ने तब और विवाद खड़ा कर दिया, जब खबरें आईं कि वह नए साल का जश्न मनाने वियतनाम के लिए रवाना हो गए हैं। वो भी ऐसे समय में जब देश अपने पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर सात दिन का राजकीय शोक मना रहा है, विपक्ष के सबसे बड़े नेता का विदेश यात्रा पर जाना कई लोगों को अखर रहा है। अब, कांग्रेस ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि सिंह परिवार की निजता का सम्मान करने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता अस्थि विसर्जन में शामिल नहीं हुए। 

कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि "अंतिम संस्कार के समय परिवार को कोई निजता नहीं मिली थी। इस कठिन और भावनात्मक समय में परिवार को अकेले रहने देना सही समझा गया।" कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी सफाई आई, जिसमें कहा गया, "जो लोग मनमोहन सिंह का अपमान करते रहे, वे अब उनके अस्थि विसर्जन पर राजनीति कर रहे हैं।"  

लेकिन यह सफाई विरोधियों को शांत नहीं कर पाई। बीजेपी ने सवाल उठाया कि अगर कांग्रेस परिवार की निजता का इतना सम्मान करती है, तो राहुल गांधी ने अपनी विदेश यात्रा रद्द क्यों नहीं की? क्या वियतनाम में नए साल का जश्न मनाना, देश के पूर्व प्रधानमंत्री को अंतिम विदाई देने से अधिक जरूरी था?  इस घटना ने गांधी परिवार की प्राथमिकताओं को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। क्या गांधी परिवार के लिए मनमोहन सिंह का योगदान इतना महत्वहीन था कि उनके अस्थि विसर्जन में भी शामिल होने की जरूरत नहीं समझी गई? क्या यह वही कांग्रेस है, जिसने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में दो बार केंद्र की सत्ता संभाली थी?  

कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री उम्मीदवार राहुल गांधी का इस दौरान विदेश में होना और कांग्रेस के बड़े नेताओं का भी कार्यक्रम से नदारद रहना, सवाल खड़े करता है। क्या यह राजनीतिक संवेदनशीलता की कमी का उदाहरण नहीं है? मनमोहन सिंह, जिनकी छवि एक ईमानदार और समर्पित नेता की रही है, को अंतिम विदाई के समय जिस तरह राजनीतिक गहमागहमी का सामना करना पड़ा, वह उनके जीवन के आदर्शों से मेल नहीं खाती। अस्थि विसर्जन जैसे भावुक पल में परिवार और करीबी नेताओं की अनुपस्थिति ने उनकी विदाई को एक औपचारिकता बना दिया।  

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित किया कि राजनीति में रिश्ते और आदर्श अक्सर पीछे छूट जाते हैं। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस और गांधी परिवार इस आलोचना से कुछ सीखेगा, या इसे भी महज राजनीति का हिस्सा मानकर टाल देगा? 

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