श्रीनगर: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में इस्लामी आतंकियों द्वारा गैर-मुस्लिम लोगों को निशाना बनाने की बढ़ती वारदातों के बाद लोगों ने अपनी सुरक्षा की तैयारी करनी आरंभ कर दी है। स्थानीय हिंदू और सिख अपने 20 वर्ष पुराने हथियार निकाल लिए हैं और निशाना लगाने की प्रैक्टिस कर रहे हैं। जम्मू के राजौरी का अपर डांगरी गाँव जम्मू-कश्मीर में मिसाल के रूप में उभर रहा है। हिंदुओं ने टारगेटेड आतंकी हमलों का जवाब देने की तैयारी कर ली है। गाँव के लोगों ने 71 राइफलें निकाल ली हैं। ये हथियार 20 वर्ष पूर्व पुलिस ने इन्हें सुरक्षा के लिए दिया था।
जम्मू से लगभग 150 किमी दूर बसे इस गाँव में 1 जनवरी 2023 को दो अनजान लोग घुस आए और लोगों से पूछ-पूछकर गोली मारी थी। एके-47 से किए गए इस हमले में 5 लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि उनके द्वारा लगाए IED धमाके से दो और बच्चों की जान चली गई थी। इस दौरान गाँव के ही रहने वाले बालकृष्ण शर्मा ने आतंकियों पर गोलीबारी की थी। इसके बाद आतंकी भागने के लिए विवश हुए थे। बालकृष्ण को उन लोगों में से एक हैं, जिन्हें पुलिस ने 1998 से 2001 के बीच सुरक्षा के लिए हथियार प्रदान किए थे।
एक रिपोर्ट के अनुसार, 5000 हिंदू और 2100 मुस्लिम जनसंख्या की मिश्रित आबादी वाले इस गाँव में उस दौरान आतंकियों को रोकने के लिए विलेज डिफेंस कमेटी का गठन किया गया था। उस दौरान 71 लोगों को बंदूक और राइफल प्रदान की गई थीं। 1 जनवरी को हुए हमले के बाद गाँव के लोगों में आक्रोश है। वे अपने लोगों की मौत से आक्रोशित हैं और आतंकियों से बदला लेना चाहते हैं। आगे इस तरह के हमले ना हों, इसलिए गाँव के लोग निशाना लगाने की निरंतर अभ्यास कर रहे हैं।
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