लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के चुनावी अभियान की बागडौर संभाल रही पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बताया है कि आखिर जितिन प्रसाद और ललितेश त्रिपाठी जैसे वरिष्ठ और युवा नेताओं को पार्टी में रोकना की कोशिश क्यों नहीं की गई। एक इंटरव्यू में विगत दो वर्षों में पार्टी के कई बड़े नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर प्रियंका ने जवाब दिया कि, 'मैंने महसूस किया कि उन्होंने सियासी कारणों से नहीं, बल्कि अपने व्यक्तिगत हित को देखते हुए पार्टी छोड़ने का मन बनाया था।'
प्रियंका ने आगे कहा कि, 'मुझे लगा कि हम जिस प्रकार की लड़ाई लड़ रहे हैं, वह बेहद कठिन लड़ाई है। उनमें से कुछ चुनाव हार गए। उनमें से कुछ ने अपना घर खो दिया, जिसमें वे कई-कई वर्षों से रह रहे थे। उनमें से कुछ वास्तविक मुद्दों का सामना कर रहे थे।' प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि, 'कम से कम जिन नेताओं के साथ मेरा संपर्क था, मुझे लगता है उनके साथ यही हुआ। मुझे उन्हें रोकने की जरूरत महसूस नहीं हुई। क्योंकि मुझे लगा कि जिस तरह की लड़ाई हम लड़ रहे हैं, वह बेहद कठिन है। इस लड़ाई को लड़ने के लिए मुझे ऐसे साथियों की आवश्यकता थी, जिनमें सच में इसकी भूख हो।'
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की शर्मनाक शिकस्त के बाद से पार्टी ने कई बड़े नेताओं को खो दिया है। कांग्रेस छोड़ने वाले उन नेताओं ने भाजपा की ताकत में इजाफा किया है। कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिया। उन्होंने कांग्रेस के 22 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी थी। इससे मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिर गई और शिवराज सिंह के नेतृत्व में फिर भाजपा की सरकार बनी।
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