डर की वजह से क्यों फ्रीज हो जाता है इंसानों का शरीर

डर की वजह से क्यों फ्रीज हो जाता है इंसानों का शरीर
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कई बार ऐसा होता है कि अचानक हमारे सामने कोई डरावनी चीज आ जाती है और हम एकदम से रुक जाते हैं। मान लीजिए कि आप जंगल में टहल रहे हैं और अचानक आपके सामने एक शेर आ जाता है। उस समय आप डर के मारे बिल्कुल ठहर जाते हैं, न कोई हरकत करते हैं और न ही मुंह से आवाज निकलती है। अब सवाल यह है कि ऐसा क्यों होता है? आइए इसे विस्तार से समझते हैं और इसके पीछे के विज्ञान को जानते हैं।

डर के समय "फ्रीज" क्यों होते हैं?: जब हम अचानक किसी डरावनी स्थिति का सामना करते हैं, तो हमारा शरीर और दिमाग एक खास प्रक्रिया से गुजरते हैं। इसे "फ्रीज" होना कहते हैं। यह प्रक्रिया हमारे शरीर की स्वाभाविक तनाव प्रतिक्रिया का हिस्सा है, जिसे "फाइट-ऑर-फ्लाइट" यानी लड़ने या भागने की प्रतिक्रिया भी कहा जाता है। जब हम खतरे में होते हैं, तो हमारा दिमाग तुरंत कुछ हार्मोनों को रिलीज करता है, जिससे शरीर में कई बदलाव होते हैं। इन्हीं बदलावों के कारण हम कभी-कभी फ्रीज हो जाते हैं।

शरीर में क्या होता है?: जब हम डरते हैं, तो हमारे दिमाग का एक हिस्सा जिसे हाइपोथैलेमस कहते हैं, वह शरीर में तनाव हार्मोन जैसे एड्रेनालिन और नॉरएपिनेफ्रिन को रिलीज करने के संकेत भेजता है। ये हार्मोन शरीर को खतरे से निपटने के लिए तैयार करते हैं।

फ्रीज होने पर हमारी मांसपेशियां कठोर हो जाती हैं, दिल तेजी से धड़कने लगता है, और सांस लेने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। यह सब हमारे शरीर को स्थिर रहने और स्थिति का आकलन करने का मौका देता है। इसी दौरान हमारा दिमाग यह तय करता है कि हमें लड़ना है, भागना है, या बस थोड़ी देर के लिए वहीं रुकना है।

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझें: फ्रीज होना सिर्फ शारीरिक प्रतिक्रिया नहीं है, यह मानसिक प्रतिक्रिया भी होती है। जब हम डरते हैं, तो कुछ सेकंड के लिए हमारा दिमाग परिस्थिति को समझने की कोशिश करता है। यह हमें सोचने का मौका देता है कि हमें अगला कदम क्या उठाना है। यह प्रक्रिया हमारे दिमाग को और ज्यादा सक्रिय बनाती है ताकि हम अपने चारों ओर की स्थिति का सही आकलन कर सकें।

फ्रीज होने का फायदा: जब हम फ्रीज होते हैं, तो हमारे दिमाग और शरीर को थोड़ा समय मिलता है कि वह खतरे का विश्लेषण कर सके। यह हमें तुरंत फैसला लेने से रोकता है, ताकि हम सही समय पर सही कदम उठा सकें।

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