भारत विश्व का सबसे रफ़्तार से बढ़ता हुआ इंटरनेट बाजार है, मगर इसके साथ एक नकारात्मक संख्या भी जुड़ी हुई है। भारत विश्व में सबसे अधिक बार इंटरनेट बंद करने वाला देश भी है। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशंस के अनुसार, वर्ष 2012 से जनवरी 2019 तक किसी न किसी वजह से भारत में केंद्र अथवा राज्य सरकारों ने 367 बार इंटरनेट बंद किया था।
वही 2019 में 20 दिसंबर तक लगभग 95 बार अलग-अलग वजहों से इंटरनेट बंद किया गया। इसमें 60 बार 24 घंटे से कम वक़्त के लिए, 55 बार 24 से 72 घंटे तथा 39 बार 72 घंटे से अधिक के लिए इंटरनेट बंद किया गया। 2012 से 2017 के मध्य कुल मिलाकर 16 हजार घंटे इंटरनेट बंद रहा। प्रदेशों की बात करें तो 5 अगस्त 2019 से पहले तक सबसे अधिक 180 बार जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बंद हुआ। 27 दिसंबर को कारगिल में इंटरनेट चालू होने की बात सामने आई है। 2016 में चरमपंथी बुरहान वानी की मौत के पश्चात् हुए प्रदर्शनों के बीच भी 4 महीने इंटरनेट बंद रहा। 2012 से 2017 तक इंटरनेट बंद होने से 3 अरब डॉलर का वित्तीय नुकसान हुआ। साथ ही ऑनलाइन कारोबार करने तथा ऑनलाइन सुविधाओं का फायदा उठाने वाले लोगों को भी समस्यां उठानी पड़ती है।
इंटरनेट बंद क्यों किया जाता है?
सामान्य हालातों में इंटरनेट भी सामान्य ढंग से चलता रहता है। मगर जब सरकार को कानून व्यवस्था बिगड़ने की संभावना होती है तो इंटरनेट को बंद किया जाता है। हाल के वक़्त में देखा गया है कि किसी सांप्रदायिक अथवा राजनीतिक तनाव की घटना में इंटरनेट पर मौजूद मैसेजिंग ऐप्स अथवा सोशल मीडिया के माध्यम से फर्जी न्यूज तेजी से फैलाई जाती है। इसमें हिंसा करने के लिए व्यक्तियों को एकत्रित करने और दूसरी तरह की हिंसक गतिविधियां सम्मिलित होती हैं। वही कश्मीर में इंटरनेट बंद करने के पीछे सरकार ने तर्क दिया था कि पत्थरबाजी करने अथवा आतंकी गतिविधियों के लिए इंटरनेट का उपयोग किया जा रहा है।
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