दिल्ली: ईस्टर का पर्व, यूनानी (ईसाई) पूजन-वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण और धर्मिक पर्व व उत्सव है. ईसाई धर्म के अनुसार, जब यीशु को सूली पर लटकाया गया था तो उसके तीसरे दिन वह पुनर्जीवित हो गये थे. तभी से इस मृतोत्थान को ईसाई ईस्टर दिवस और ईस्टर,सन्डे के नाम से मनातें है. कुछ लोग इस त्यौहार को मृतोत्थान दिवस और मृतोत्थान रविवार भी कहते हैं.
यह फेस्टिवल गुड फ्राइडे के 2 दिन बाद और पुन्य बृहस्पतिवार या मौण्डी थर्सडे के 3 तीन बाद ईस्टर मनाया जाता है. यीशु की मृत्यु 26 और 36 ई.प. के बीच में हुई थी. इनकी मृत्यु और उनके जी उठने के कालक्रम को अनेकों और भिन्न-भिन्न प्रकार से बताया जाता है. ईस्टर का जो काल होता है वो परंपरागत चालीस दिनों का होता है. ये पर्व ईस्टर दिवस से होकर स्वर्गारोहण दिवस तक होता आया है. परन्तु अब यह फेस्टिवल आधिकारिक तौर पर पंचाशती तक पचास (50) दिनों का होता है.
ईस्टर सीज़न और ईस्टर काल का जो पहला सप्ताह होता है उसको ईस्टर सप्ताह या ईस्टर अष्टक या ओक्टेव ऑफ़ ईस्टर भी कहते हैं. ईस्टर के पर्व को चालीस सप्ताहों के काल और एक चालिसे के अंत के रूप में भी देखा जाता है, इस पवित्र काल को प्रायश्चित, प्रार्थना और उपवास करने के लिए भी माना जाता है. ईस्टर का त्योहार एक बहुत ही प्रमुख त्यौहार है, ये एक गतिशील त्यौहार है, जिसका अर्थ है कि ये नागरिक कैलेंडर के अनुसार नही चलता हैं.
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