बड़े-बुजुर्ग का घर में होना बहुत ही ज्यादा अच्छा माना जाता है, वहीं घर के बड़े-बुजुर्ग के पास बैठना यानि अपने जीवन को संवारना जरुरी है. दादी-नानी की छांव में रहकर क्रोध मिट जाते हैं और ज्ञान भी भर भर कर मिलता है, जिससे जीवन का अंधकार दूर होन लग जाता है. बड़े बुजुर्गों की सलाह से किए गए काम हमें हानि से बचाने का काम भी करते है. क्योंकि इनके पास ज्ञान का अथाह भंडार भी देखने के लिए मिलता है.
बुजुर्गों ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखें हैं और इन्हीं अनुभव के आधार पर वे सलाह भी देने का काम करती है. इतना ही नहीं दादी-नानी हमेशा हमें गलतियों पर टोक लगाने लग जाती है. कई बार कुंवारी कन्याएं या घर की बेटियां (daughters) उनके पैर छूने के लिए आगे बढ़ती है, तो वह उन्हें यह कहकर रोक देती हैं कि अरे-अरे घर की बेटियां पैर नहीं छूती है.
दादी-नानी के कई सारी बातें अंधविश्वास (Superstition) नहीं होती, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य या फिर धार्मिक महत्व के साथ ही जुड़ा हुआ होता है. आइये धार्मिक दृष्टिकोण से आधार पर भी जानते हैं कि आखिर क्यों दादी-नानी बेटियों को पैर छूने से मना कर देते है.
क्यों पैर नहीं छूती बेटियां (Why daughters don't touch feet): दरअसल हिंदू धर्म (Hindu Dharm) में कन्या को देवी (Devi) का स्वरूप भी कहा जाता है. इसलिए लोग कन्याओं को ना ही पैर छूने देते हैं और ना ही चरण स्पर्श करने देते है. कुछ मान्यताओं में तो ये भी कहा गया है कि इनसे (बेटियों) चरण स्पर्श कराने से पाप लगता है. इसलिए कन्याओं को बिना पैर छूए ही उनके सिर पर हाथ फेर कर बुजुर्ग आशीर्वाद भी देने का काम करते है. कई जगहों पर आज भी यह परंपरा निभाई जाती है.
पुरानी भारतीय परंपरा के मुताबिक, माता-पिता (Mother-Father) भी अपनी बेटियों को पैर छूने से मना कर देते है. वहीं कई स्थान पर ऐसी भी परंपरा है कि दामाद के चरण स्पर्श करने से पुण्य नष्ट हो जाता है. वहीं मामा-मामी (Mama-Mami) को अपने भांजा-भनिगी (भांजी) को भी पैर नहीं छूने देना चाहिए.
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