नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नौ फरवरी को चार देशों की यात्रा के लिए रवाना हो गए, इनमें जोर्डन, फलस्तीन, यूएई और ओमान शामिल हैं. खाड़ी देशों की इस यात्रा के मायने एक नज़र में -
फलस्तीन से भारत का व्यापारिक से ज्यादा दोस्ताना संबंध के कारण यात्रा की कूटनीतिक अहमियत ज्यादा है.
भारत और यूएई के बीच व्यापार को 2020 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है.
इस यात्रा से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सऊदी अरब का भी दौरा किया था.
पीएम मोदी ने खुद ट्वीट कर कहा है कि ओमान से भारत के घनिष्ट संबंध हैं.
पीएम मोदी वहां पर ओमान के सुल्तान से मुलाकात करेंगे.
यूएई में वह कई कंपनियों के सीईओ से मुलाकात करेंगे और उन्हें भारत में निवेश का मौका देंगे.
यूएई में मंदिर का शिलान्यास करने जा रहे हैं, अबु धाबी से इसका वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये शिलान्यास करेंगे.
यूएई के निवेशकों को भारत में निवेश करने की सलाह देंगे.
चार वर्षो में यूएई की तरफ से भारत में चार अरब डॉलर का विदेशी निवेश और छह अरब डॉलर का पोर्टफोलियो निवेश हुआ है.
यूएई ने भारत में 25 अरब डॉलर के नए निवेश की बात की है.
मिडिल ईस्ट की यदि हम बात करते हैं तो वहां पर बसे लाखों भारतीय हर वर्ष विदेशी मुद्रा भारत भेजते हैं.
येरुशलम के मुद्दे पर भारत ने इजरायल के खिलाफ जाकर वोट दिया था, इसके बाद भी इजरायल के राष्ट्राध्यक्ष भारत आए.
ओमान में वह सुल्तान काबूस ग्रैंड मस्जिद और प्राचीन शिव मंदिर जाएंगे.
खाड़ी के देशों में रहने वाले भारतीयों की संख्या हाल के वर्षो में 60 लाख से बढ़कर 90 लाख से ज्यादा हो चुकी है.
ये लोग सालाना भारत को 35 अरब डॉलर की राशि भेजते हैं, इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है.
भारत की कुल ऊर्जा जरूरतों का 60 फीसद इस क्षेत्र के देशों से प्राप्त किया जाता है.
तेल भंडारण की सुविधा के बारे में एक अहम समझौता भी होगा.
भारत में पुडुर (केरल), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) और मंगलोर (कर्नाटक) में भंडारण क्षमता का काम तकरीबन पूरा हो चुका है.
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