गीता जयंती मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे मोक्षदा एकादशी भी बोलते हैं। उस दिन मनाई जाती है। इसी दिन महाभारत युद्ध के चलते प्रभु श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। श्रीमद्भगवद्गीता इकलौता ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। इस बार गीता जयंती 22 दिसंबर शुक्रवार को मनाई जाएगी। श्रीमद्भगवद्गीता हिंदूओं के पवित्र ग्रंथ में से एक है। इस वर्ष गीता की 5160वीं वर्षगांठ हैं। इस दिन गीता, प्रभु श्रीकृष्ण और वेद व्यासजी की पूजा की जाती है।
गीता में लिखे श्लोक मनुष्य का कल्याण करने में सहायक है। गीता का हर एक श्लोक प्रभु श्रीकृष्ण के मुख से निकला है। कलयुग में गीता के उपदेश जीवन जीने का ढंग सिखाते हैं। गीता जयंती के दिन गीता का पाठ करने से प्रभु कृष्ण को आशीर्वाद मिलता है तथा व्यक्ति के सारे दुख तकलीफ दूर हो जाती हैं। साथ ही यह दिन पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए भी उत्तम है। इस दिन सच्चे मन से प्रभु विष्णु की पूजा करनी चाहिए जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकें।
क्यों मनाई जाती है गीता जयंती
जिस दिन प्रभु कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था उस दुन मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथी थी। इसलिए इस दिन को गीता जयंती के रुप में मनाया जाता है।
इस दिन कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध गया था। जिसमें लाखों लोग मृत्यु को प्राप्त हो गए थे।
इस दिन उपवास रखने से व्यक्ति का मन पवित्र होता है तथा शरीर स्वस्थ होता है। साथ ही मनुष्य को पापों से छुटकारा प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में सुख शांति का अनुभव करता है।
इस दिन गीता का पाठ करने से उसके उपदेश पढ़ने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इसके अतिरिक्त इस दिन पितरों के नाम से तर्पण करने से आपके पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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