आखिर क्यों माता लक्ष्मी दबाती हैं विष्णु जी के पाँव

आखिर क्यों माता लक्ष्मी दबाती हैं विष्णु जी के पाँव
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आप सभी ने अक्सर ही देखा होगा कई ऐसी तस्वीरें मिलती हैं जिनमे माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के पैर दबाते हुए दिखाई देती हैं. ऐसे में कभी आपने सोचा है ऐसा क्यों...? तो आइए हम आपको बताते हैं इसका करण.

कथा - जी दरअसल नारद मुनि को हर बात जानने की उत्सुकता होती है, यह तो हम सभी जानते हैं. इसी तरह उत्सुकतावश एक बार वो लक्ष्मी जी से पूछ बैठे कि आप भगवान विष्णु के चरण क्यों दबाती हैं? माता लक्ष्मी ने बड़ी ही सहजता से नारद मुनि को बताया कि मनुष्य से लेकर देव तक सभी को ग्रह अच्छी या बुरी तरह प्रभावित करते हैं. उनके श्री हरि के पैर दबाने से इन ग्रहों का बुरा प्रभाव खत्म होता है. इसलिए वो अपने श्री हरि के पैर दबाती हैं. जी दरअसल एक स्त्री के हाथ में देवताओं के परम गुरु बृहस्पति निवास करते हैं. वहीं पुरुषों के पैरों में दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य का वास होता है. ऐसे में जब पत्नी अपने पति के पैर दबाती है तो ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के साथ ही धन के योग भी बनते हैं. इसी के साथ कहा जाता है माता लक्ष्मी के भगवान विष्णु के चरणों के समीप होने का एक अन्य कारण भी है जो एक कथा है.

जी दरअसल यह दूसरी कथा लक्ष्मी जी की बहन अलक्ष्मी से जुड़ी हुई है. वो शांत, सौम्य लक्ष्मी से बिल्कुल उलट बिखरे बाल, खतरनाक आँखों व नुकीले दांतों वाली थी. अलक्ष्मी अक्सर ही अपनी बहन से मिलने जाया करती थी. मगर वो अक्सर ही अपनी बहन से तब मिलने जाया करती थी, जब माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ हों और कुछ निजी पल साथ बिता रहे हों. एक बार अलक्ष्मी अपनी बहन के पास तब पहुंची, जब वो अपने प्रभु के पैर दबा रही थी. अलक्ष्मी का तर्क था कि मेरी पूजा-अर्चना न मेरा पति करता है और न कोई और. इसलिए मैं वही रहूंगी, जहां तुम होगी. इस बार लक्ष्मी जी को अपनी बहन की इस हरकत पर बहुत क्रोध आया. उन्होंने अपनी बहन को श्राप दिया कि तुम्हारे पति मृत्यु के देवता हैं और जहां-जहां गंदगी, जलन, दुर्भावना, आलस्य जैसी नकारात्मक पसरी होगी, वहां तुम्हारा वास होगा. माता लक्ष्मी अपनी बहन अलक्ष्मी को अपने से दूर रखना चाहती है इसलिए वो अपने पति के पैरों के पास बैठकर उनकी सफाई करती रहती है. इसी तरह लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हमें भी अपने घर से अलक्ष्मी को दूर रखना चाहिए. यानी हमें गंदगी व बुरे विचारों से दूर रहना चाहिए.

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