आप सभी जानते ही होंगे कि आज देशभर में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जा रहा है। जी हाँ और इस अवसर पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पवनपुत्र हनुमान जी को सिंदूर क्यों प्रिय है। कहा जाता है उनको प्रसन्न करने के लिए चमेली के तेल और सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। हालाँकि इस दिन किये जाने वाले कई उपाय भी सिंदूर से जुड़े हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों हनुमान जी को सिंदूर इतना पसंद है? जी दरअसल इसके पीछे एक रोचक कथा है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
पौराणिक कथा- लंका विजय के बाद जब रामचंद्र जी अयोध्या के राजा बने, तो हनुमान जी भी अपने प्रभु की सेवा में अयोध्या में ही थे। एक दिन माता सीता स्नान के बाद माथे पर सिंदूर लगा रही थीं, उन्हें हनुमान जी बड़े ही आश्चर्य भाव से देख रहे थे। जब उनसे नहीं रहा गया, तो पूछ ही लिया कि माते, आप अपने माथे पर यह क्या लगा रही हैं और क्यों लगा रही हैं। हनुमान जी के प्रश्नों को सुनकर माता सीता मुस्कुराने लगीं। उन्होंने हनुमान जी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए कहा कि वे अपने माथे पर प्रतिदिन सिंदूर लगाती हैं और इसे देखकर प्रभु श्रीराम बहुत ही प्रसन्न होते हैं। हनुमान जी को यह बात आश्चर्य वाली लगी कि उनके प्रभु यह लाल रंग की वस्तु लगाने से बहुत प्रसन्न होते हैं।
प्रभु श्रीराम को प्रसन्न करना हो, तो हनुमान जी उस अवसर को अपने हाथ से क्यों जाने दें। उन्होंने सोचा कि माता सीता अपनी ललाट पर थोड़ा ही सिंदूर लगाती हैं, तो वे क्यों न पूरे शरीर में ही इसे लगा लें। इससे तो भगवान राम अत्यंत ही प्रसन्न हो जाएंगे। हनुमान जी ने बड़े ही प्रेम से अपने पूरे शरीर में सिंदूर लगा लिया और राम दरबार में पहुंच गए। राम दरबार में हनुमान जी के इस स्वरुप को देखकर हर कोई हंसने लगा। प्रभु राम और माता सीता भी मुस्कुराने लगे। उधर हनुमान जी प्रभु के प्रेम में डूबे हुए थे। तब रामजी ने पूछा कि आपने अपने पूरे शरीर में सिंदूर क्यों लगा लिया है? तब बजरंगबली ने कहा कि 'माता सीता अपने माथे पर सिंदूर लगाती हैं, तो आप प्रसन्न होते हैं। इस वजह से मैंने अपने पूरे शरीर पर ही सिंदूर लगा लिया ताकि आप अति प्रसन्न हो जाएंगे।' इस दौरान उनके जवाब को सुनकर प्रभु राम और माता सीता मुस्कुराने लगे। यही वजह है कि हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सिंदूर चढ़ाया जाता है।
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