नागपंचमी : नाम से ही स्पष्ट होता है कि नागपंचमी नाग देवता का त्यौहार होता है। इस दिन नागदेवता की विधिवत रूप से पूजा की जाती है और इसी दिन नागदेवता को दूध पिलाए जाने की भी परंपरा है। हालांकि क्या आपने कभी सोचा है कि आख़िर नागदेवता को दूध क्यों पिलाया जाता है ? तो आइए आज इस राज के बारे में जानते हैं।
क्यों पिलाया जाता है नाग देवता को दूध
हमारे शास्त्रों में भी नागदेवता का उल्लेख मिलता है। फिर चाहे भगवान विष्णु की शय्या नाग देवता की हो या भगवान शिव के गले में नाग देवता आभूषण के रूप में विराजते हो। कहा तो यह भी जाता है कि यह पूरी धरती शेषनाग पर टिकी हुई है। नागदेवता को दूध पिलाए जाने के पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि नाग या किसी जहरीले जीव को यदि दूध पिलाया जाए तो यह उनके लिए हानिकारक होता है और इससे उनकी मृत्यु तक हो सकती है। वहीं इसके पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि यदि हम हमारे शत्रु का स्वादिष्ट भोजन के साथ स्वागत करें तो इससे उसका क्रोध कई हद तक शांत हो जाएगा। ठीक उसी प्रकार यदि नागपंचमी के दिन घर की देहली पर दूध रखा जाए और हमारे घर में यदि नाग प्रवेश करें तो वह अपने अहम उद्देश्य में सफल न हो सके।
क्षेत्रपाल भी कहलाते हैं नागदेवता
नाग देवता चूहों आदि से हमारे खेतों की रक्षा करते हैं। वे फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों को खेतों में प्रवेश नहीं करने देते हैं और वे उनका भक्षण कर लेते हैं। अतः नाग को इस कारण क्षेत्रपाल भी कहा जाता है।
कब मनाते हैं नागपंचमी ?
नागपंचमी का त्यौहार हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता हैं। सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी का दिन नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नागदेवता का पूजन किया जाता है।
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