पोस्टमॉर्टम के बारे में आपने जरूर सुना होगा। जब किसी की अप्राकृतिक मौत होती है, तो पोस्टमॉर्टम कराया जाता है ताकि मौत के कारणों का पता चल सके। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पोस्टमॉर्टम के दौरान अंगों का वजन क्यों किया जाता है।
पोस्टमॉर्टम क्या है?
पोस्टमॉर्टम एक मेडिकल प्रक्रिया है, जो खासतौर पर असामान्य मौतों के मामलों में की जाती है। इसके जरिए डॉक्टर यह पता लगाते हैं कि मौत का कारण क्या था और इसके पीछे की वजह क्या हो सकती है।
अंगों का वजन क्यों किया जाता है?
पोस्टमॉर्टम के दौरान अंगों का वजन इसलिए किया जाता है ताकि यह पता चल सके कि अंगों का आकार और वजन सामान्य है या नहीं। यदि किसी अंग का वजन सामान्य से अधिक या कम पाया जाता है, तो यह संकेत हो सकता है कि उस अंग में कोई समस्या हो सकती है।
उदाहरण के लिए:
इस तरह, अंगों का वजन करने से डॉक्टरों को यह समझने में मदद मिलती है कि शरीर में कौन सी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं और मौत के कारण का पता लगाने में भी सहायता मिलती है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देने की समयसीमा
अलग-अलग राज्यों में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देने की समयसीमा अलग-अलग हो सकती है। हाल ही में पंजाब और हरियाणा में कोर्ट ने आदेश दिया था कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर देनी होगी। इसमें कोई भी देरी नहीं की जा सकती है।
क्या पोस्टमॉर्टम में शुरुआती रिपोर्ट होती है?
पोस्टमॉर्टम में शुरुआती रिपोर्ट जैसी कोई चीज नहीं होती। यह एक महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट है और इसकी रिपोर्ट तुरंत ही देनी होती है। इसमें चार-पांच दिन का कोई गैप नहीं हो सकता है। इस जानकारी से आपको पोस्टमॉर्टम और अंगों के वजन की महत्वता समझ में आई होगी। यह प्रक्रिया मौत के कारण को सही तरीके से जानने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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