नेपाल में मंगलवार की दोपहर एक बार फिर से भूकंप के तेज झटकों ने हर किसी को हैरत में डाल दिया है। दिल्ली NCR सहित पूरे उत्तर भरत में भी इस भूकंप का असर देखने के लिए मिला है। नेशनल सेंटर फॉर सिसमोलॉजी (NCS) के मुताबिक, इस भूकंप का केंद्र नेपाल ही था। रेक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.8 भी आंकी गई है।
क्यों बार-बार नेपाल और उत्तर-भारत में आ रहे भूकंप के झटके?: इसे समझने के लिए हमने IIT कानपुर सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर और जियोसाइंस इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ प्रो. जावेद एन मलिक वार्तालाप की। उन्होंने इस बारें में बोला है कि, '2015 में भी नेपाल में 7.8 से 8.1 तीव्रता वाले भूकंप के झटके आए थे। तब आठ हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 20 हजार से अधिक लोग जख्मी हो चुके है। उस वक्त भूकंप का केंद्र पूर्वी नेपाल था। यही वजह है कि इंडिया पर इसका असर नहीं पड़ा था। हालांकि, हिमालय रेंज में टेक्टोनिक प्लेट अस्थिर हो चुकी है। इसके चलते अब लंबे समय तक इस तरह के भूकंप आते रहने वाले है। इस बार आए भूकंप का भी यह एक बड़ा कारण है। नेपाल में ये झटके उत्तराखंड से सटे हिमालयन रेंज पर बन्हि मिल रहे है। यही कारण है कि इसका असर दिल्ली एनसीआर तक देखने के लिए मिल रहा है।'
1. डिया के हिमालयन रेंज में बड़े भूकंप की आशंका: खबरों का कहना है कि हिमालयन रेंज यानी उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बड़ा भूकंप आने की सम्भवना है। इसकी तीव्रता 7.8 से 8.5 के बीच ही होने वाली है। यह बड़ा खतरा है। इससे हम मुंह नहीं मोड़ सकते हैं।
2. भूकंप के समय में प्रवेश कर चुका है भारत: अब प्रश्न उठता है कि भारत में कब तक इस तरह का भूकंप भी आ सकता है? इसका जवाब देते हुए प्रो. मलिक ने बताया, 'हम लोग (भारत) भूकंप की साइकिल जोन में पहले से ही प्रवेश कर लिया है। मतलब हम लोग उस टाइमलाइन में दाखिल हो गए है, जब कभी भी किसी भी वक्त उत्तराखंड और हिमाचल में भयावह भूकंप के झटके भी आने लगे है। हिमालय भी इस ओर इशारा करते हुए दिखाई दे रहे है। हिमालय अभी पूरी तरह से शांत बैठा है। ये तूफान के आने से पहले वाली शांति है।
3. उत्तराखंड-हिमालय में आए भूकंप का असर पूरे उत्तर भारत में दिखेगा: खबरों में इस बात का खुलासा हुआ है कि जब भी उत्तराखंड या हिमाचल में भूकंप के झटके भी आने वाले है, तब उसका असर पूरे उत्तर भारत में देखने के लिए मिलने वाला है। फिर समतल जगह ही क्यों न हो। वहां भी गंभीर असर हो सकता है। उत्तराखंड में खासतौर पर गढ़वाल और कुमायूं वाले इलाके ज्यादा रेड जोन में हैं। ये इलाके भूकंप के केंद्र भी होने वाला है।
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