आज महाशिवरात्रि है ऐसे में आज के दिन शिव जी का पूजन किया जाता है। शिव जी के पूजन के दौरान लोग मन से, पूरी श्रद्धा भक्ति से पूजन करते हैं और तभी उन्हें पूजा का फल मिलता है। शिव जी कई चीजों को धारण करने वाले माने जाते हैं और इन्ही में शामिल है त्रिशूल। आज हम आपको बताने जा रहे हैं शिव जी ने किन तीन गुणों को त्रिशूल रूप में धारण कर रखा है।
शिव जी का त्रिशूल - भगवान शिव सर्वश्रेष्ठ सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञाता हैं हालाँकि पौराणिक कथाओं में इनके दो प्रमुख अस्त्रों का जिक्र आता है एक धनुष और दूसरा त्रिशूल। भगवान शिव के धनुष के बारे में तो यह कथा प्रचलित है कि इसका आविष्कार स्वयं शिव जी ने किया था। हालाँकि त्रिशूल कैसे इनके पास आया इस विषय में कोई कथा नहीं है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मनाद से जब शिव प्रकट हुए तो साथ ही रज, तम, सत यह तीनों गुण भी प्रकट हुए। जी हाँ और यही तीनों गुण शिव जी के तीन शूल यानी त्रिशूल बने। इनके बीच सांमजस्य बनाए बगैर सृष्टि का संचालन कठिन था। इस वजह से शिव जी ने त्रिशूल रूप में इन तीनों गुणों को अपने हाथों में धारण कर लिया।
क्या है शिव के हाथों में डमरू की कथा - भगवान शिव के हाथों में डमरू आने की कहानी बड़ी ही रोचक है। कहा जाता है सृष्टि के आरंभ में जब देवी सरस्वती प्रकट हुई तब देवी ने अपनी वीणा के स्वर से सष्टि में ध्वनि को जन्म दिया। लेकिन यह ध्वनि सुर और संगीत विहीन थी। उस समय भगवान शिव ने नृत्य करते हुए चौदह बार डमरू बजाया और इस ध्वनि से व्याकरण और संगीत के धन्द, ताल का जन्म हुआ। कहा जाता है कि डमरू ब्रह्म का स्वरूप है जो दूर से विस्तृत नजर आता है लेकिन जैसे-जैसे ब्रह्म के करीब पहुंचते हैं वह संकुचित हो दूसरे सिरे से मिल जाता है और फिर विशालता की ओर बढ़ता है। सृष्टि में संतुलन के लिए इसे भगवान शिव अपने साथ लेकर प्रकट हुए थे।
महाशिवरात्रि: सबसे प्रमुख और मशहूर हैं भोले बाबा के ये मंदिर
यहाँ देखे महाशिवरात्रि पर महाकाल की भस्म आरती का वीडियो
महाशिवरात्रि 2022: हेमा मालिनी ने शिवरात्रि की शुभकामनाएं दीं