दिल्ली की यमुना नदी इन दिनों फिर से चर्चा में है, खासकर छठ पूजा के समय। हर साल छठ से पहले यमुना का पानी सफेद झाग से भर जाता है, जो देखने में जितना सुंदर लगता है, असल में उतना ही जहरीला और खतरनाक होता है। इस झाग के कारण कई बीमारियां हो सकती हैं, लेकिन फिर भी लोग आस्था के कारण इसमें स्नान करके पूजा करते हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर यमुना में ही ये सफेद झाग क्यों बनता है, जबकि बाकी नदियों में ऐसा नजारा देखने को क्यों नहीं मिलता?
यमुना में सफेद झाग कैसे बनता है?
यमुना में सफेद झाग बनने की सबसे बड़ी वजह औद्योगिक और शहरी अपशिष्ट है। दिल्ली और इसके आस-पास के इलाकों में कई फैक्ट्रियां हैं जो बिना फिल्टर किए अपना केमिकल वेस्ट यमुना में छोड़ देती हैं। इसके अलावा, दिल्ली और नोएडा के कई हिस्सों का गंदा सीवेज भी यमुना में गिरता है। इन सबके कारण यमुना का पानी प्रदूषित हो जाता है और इसमें रासायनिक प्रक्रियाओं की वजह से सफेद झाग बनने लगता है।
कौन से केमिकल्स जिम्मेदार हैं?
इस सफेद झाग का मुख्य कारण फॉस्फेट होता है, जो फैक्ट्रियों और सीवेज से निकलने वाले अपशिष्ट में पाया जाता है। जब यह फॉस्फेट यमुना के पानी में मिलता है, तो इसका रासायनिक असर होता है और झाग बनने लगता है। इसके अलावा, डिटर्जेंट और अन्य रसायन भी झाग बनने में अहम भूमिका निभाते हैं। यमुना में फॉस्फेट की मात्रा बहुत अधिक होने के कारण वहां सफेद झाग की समस्या साल दर साल बढ़ती जा रही है।
दूसरी नदियों में सफेद झाग क्यों नहीं दिखता?
अब यह सवाल भी उठता है कि बाकी नदियों में ऐसा सफेद झाग क्यों नहीं दिखता। असल में, अन्य नदियों में भी झाग बनता है, लेकिन उनकी मात्रा कम होती है। यमुना में समस्या इसलिए अधिक होती है क्योंकि यहां औद्योगिक अपशिष्ट और शहरी गंदगी का स्तर बहुत ज्यादा है। दिल्ली-नोएडा के सीवेज सिस्टम से यमुना में काफी ज्यादा मात्रा में अपशिष्ट गिरता है, जिससे झाग की समस्या अन्य नदियों के मुकाबले कहीं ज्यादा हो जाती है। इसके अलावा, यमुना में इस समय बहाव भी धीमा होता है, जिससे झाग इकट्ठा होकर किनारों पर जमा हो जाता है और साफ दिखाई देने लगता है।
झाग के खतरे
यह सफेद झाग दिखने में भले ही आकर्षक लगे, लेकिन यह बेहद खतरनाक होता है। इसमें नहाने से त्वचा रोग, एलर्जी, और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। फिर भी आस्था के चलते लोग इसमें स्नान करते हैं। यह प्रदूषण का एक गंभीर संकेत है, जो हमें बताता है कि यमुना को साफ करने की कितनी सख्त जरूरत है। यमुना में सफेद झाग का बनना न केवल प्रदूषण की समस्या को उजागर करता है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा है। फैक्ट्रियों और सीवेज का सही तरीके से प्रबंधन न होने के कारण यमुना का पानी जहरीला होता जा रहा है। अब वक्त है कि सरकार और समाज मिलकर यमुना की सफाई और संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ यमुना मिल सके।
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