बीते कुछ वर्षों में अल्जाइमर एक सामान्य बीमारी के रूप में उभर कर सामने आती जा रही है। अल्जाइमर दिमागी बीमारी है, जो व्यक्ति के दिमाग को कमजोर कर याद्दाश्त पर प्रभाव डालती है। पहले ये बीमारी अधिकतर बुजुर्गों में देखने के लिए मिल रही है, लेकिन तनाव और डिप्रेशन की वजह से अब ये कम उम्र के व्यक्ति को भी अपना शिकार बनती जा रही है। अल्जाइमर के बढ़ने की एक वजह जागरूकता की सबसे बड़ी कमी है। लोगों को इस बीमारी के प्रति सचेत करने के लिए हर साल 21 सितंबर को ‘वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे 2022’ सेलिब्रेट किया जाता है। ‘अल्जाइमर डे’ के दिन लोगों को इस बीमारी के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में जागरूक भी किया जा चुका है। जानते हैं क्या है ‘वर्ल्ड अल्जाइमर डे’ का इतिहास, इस वर्ष की थीम, महत्व, इस बीमारी के कारण, लक्षण के बारे में।
क्यों मनाते हैं वर्ल्ड अल्जाइमर डे?: वर्ल्ड अल्जाइमर डे हर वर्ष 21 सितंबर को सेलिब्रेट किया है। अल्जाइमर एक मानसिक रोग है, जिसे लोग गंभीरता से नहीं लेते। अधिकतर लोगों का मानना है कि उम्र के साथ याददाश्त का कमजोर होना आम बात है। यही वजह है कि अधिकतर लोग बिना ट्रीटमेंट के कई तरह की पर्सनेलिटी डिसऑर्डर को भी झेल रहे है। इंडिया में ही नहीं अन्य देशों में भी लोग इस बीमारी को नजरअंदाज कर देते है। लोगों की इसी सोच को बदलने के उद्देश्य से हर वर्ष अल्जाइमर डे सेलिब्रेट किया जाता है। जिसके जरिए से विश्व स्तर पर लोगों को अल्जाइमर के मुख्य लक्षण, कारण और उपचार से संबंधित जानकारी मुहैया कराई जा रही है।
क्या है वर्ल्ड अल्जाइमर डे का इतिहास: वर्ल्ड अल्जाइमर डे को वर्ष 2012 से हर वर्ष विश्वस्तर पर सेलिब्रेट किया जाता है। बता दें कि अल्जाइमर का इलाज पहली बार 1901 में एक जर्मन महिला का किया गया था। इस बीमारी का इलाज जर्मन मनोचिकित्सक डॉ। अलोइस अल्जाइमर ने किया था। उन्हीं के नाम पर इस बीमारी का नाम रखा गया था। जब अल्जाइमर डिजीज ने 21 सितंबर 1994 को अपनी 10वीं एनिवर्सरी सेलिब्रेट की तब इस डे को वर्ल्ड लेवल पर हर वर्ष मानाने का एलान कर दिया गया। तभी से हर देश में कई जागरूकता अभियान और आयोजन आयोजित किए जाते हैं। अल्जाइमर डिजीज विश्वभर में 6वां मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। जिसके लक्षण और कारण सामान्य लगते हैं, इसलिए इसे पहचानना कई बार मुश्किल होता चला जाता है।
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