अक्सर आप फिल्मों में या असल लाइफ में भी वकीलों को देखते ही होंगे और यह बात तो अच्छी तरह से सभी जानते ही होंगे कि वकील काला कोट और सफेद शर्ट ही पहने हुए पाए जाते हैं. हालांकि क्या आप यह जानते हैं कि वकील काला कोट ही क्यों पहनते हैं, किसी और रंग का कोट क्यों नहीं वे पहनते हैं? तो आइए जानें इसके बारे में...
आपको जानकारी के लिए बता दें कि वकालत की शुरुआत वर्ष 1327 में एडवर्ड तृतीय द्वारा की थी और उस समय ड्रेस कोड के आधार पर न्यायाधीशों की वेशभूषा तैयार की गई . अतः उस समय में जज अपने सर पर एक बालों वाला विग पहनते थे. वकालत के शुरुआती समय में वकीलों को चार भागों में विभाजित किया था, जो कि इस प्रकार से थे- स्टूडेंट (छात्र), प्लीडर (वकील), बेंचर और बैरिस्टर. ये सभी जज का स्वागत करते थे.
बता दें कि उस समय अदालत में सुनहरे लाल कपड़े और भूरे रंग से तैयार गाउन को पहना जाता था और फिर उसके बाद वर्ष 1600 में वकीलों की वेशभूषा में बदलाव किया गया और 1637 में यह प्रस्ताव रखा गया था कि काउंसिल को जनता के अनुरूप ही कपड़े पहनने चाहिए. जबकि इसके बाद वकीलों द्वारा लंबे वाले गाउन पहनने शुरू कर दिए गए. ऐसा माना जाता है कि उस समय कि यह वेशभूषा न्यायाधीशों और वकीलों को अन्य व्यक्तियों से अलग बनाती थी. वहीं साल 1694 में ब्रिटेन की महारानी क्वीन मैरी की चेचक से मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उनके पति राजा विलियम्स द्वारा सभी न्यायधीशों और वकीलों को सार्वजनिक रुप से शोक मनाने के लिए काले गाउन पहनकर इकट्ठा होने का आदेश दिया गया था. इस आदेश को कभी भी रद्द नहीं किया गया, जिसके बाद से आज तक यह प्रथा जारी है.
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