सावन 2020 : तो इस कारण 'भोले' हैं भोलेनाथ, इसके पीछे छिपा है अनूठा रहस्य

सावन 2020 : तो इस कारण 'भोले' हैं भोलेनाथ, इसके पीछे छिपा है अनूठा रहस्य
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भगवान शिव को यूं तो अनगिनत नामों से जाना जाता है, लेकिन इन सबमें अधिकतर भोलेनाथ या शंकर प्रचलित है। भगवान शिव को भोले भंडारी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि भोलेनाथ जी को खुश करना काफी आसान है, वे काफी जल्द अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं। आज हम आपसे शिव जी के भोेलपन के बारे में बात करेंगे। 

भोलेनाथ का अर्थ होता है भोला यानी कि बच्चे जैसी मासूमियत, नाथ मतलब भगवान, मालिक आदि। कई लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि शिव जी को भोला क्यों कहा जाता है। तो आपको बता दें कि शिव जी के पास न ही चालाकी है और न ही अहम उनके भीतर निवास करता है। साथ ही इसे लेकर एक कहानी भी प्रचलित है, तो आइए आज इसके बारे में जानते हैं। 

भस्मासुर नामक एक असुर ने हजारों वर्षों तक तपस्या की और भगवान शिव की उपासना में दिन-रात वह लीन रहता था। वह एक राक्षस है, शिव जी इस बात से परिचित थे, अतः उन्होंने सोचा कि इसे वरदान देना कदापि उचित नहीं होगा। हालांकि शिव जी ठहरे भोले और उन्होंने प्रकट होकर असुर से वरदान मांगने के लिए कह दिया। इस पर राक्षस ने शिव जी से वरदान मांगा कि वह जो कुछ भी छुए, तुरंत भस्म हो जाए। शिव जी ने असुर को वरदान दे दिया। हालांकि राक्षस के मन में गलत भाव आ गया और वह यह सोचने लगा कि वह शिव जी को ही छूकर भष्म कर दें तो फिर कोई इस दुनिया में उससे श्रेष्ठ नहीं होगा। भोले भंडारी अपने भक्त को खाली हाथ नहीं लौटाना चाहते थे और वे अपने प्राणों की रखा के लिए दौड़ने लगते हैं, इस दौरान विष्णु जी एक मोहिनी का भेष धारण कर आते हैं। वे भस्मासुर के सामने मोहिनी के रूप में नृत्य करने लगे। चालाकी के साथ विष्णु जी ने असुर का हाथ उसके ही सिर पर रखवा दिया और वह खुद ही भस्म हो गया। यह प्रचलित कथा या कहानी शिव जी के भोलेपन को सिद्ध करती है। 

 

 

 

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