हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि भगवान शिव की पूजा अर्चना का शुभ दिन सोमवार माना जाता है. ऐसे में कहते हैं कि इस दिन इनकी पूजा करने से शिव पूजा का फल जल्दी मिलता है और इसी के साथ ही भगवान शिव को भोले भंड़ारी कहा जाता है. जी हाँ, भगवान शिव भक्तो पर जल्दी कृपा करने वाले देव माने जाते हैं और वह अपने भक्तों की सभी बातों को मान लेते हैं. ऐसे में भगवान शिव की वेशभूषा काफी रहस्य भरी है, भगवान शिव शेर की खाल पहनते हैं. अब बहुत से लोग इस बात को नहीं जानते हैं कि शिव भगवान आखिर शेर की खाल क्यों पहनते हैं. तो अगर आप भी इस बात से नहीं वाकिफ हैं तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर क्यों शिव भगवान शेर की खाल पहनते हैं..?
पौराणिक कथा - आपको बता दें कि शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव एक बार ब्रह्मांड का गमन करते हुए एक जंगल में पहुंचे जहां कई ऋषि-मुनियों रहते थे. भगवान शिव इस जंगल से निर्वस्त्र जा रहे थे. शिवजी के सुडौल शरीर को देख ऋषि-मुनियों की पत्नियां उनकी ओर आकर्षित होने लगी. ऋषियों ने तब शिवजी के मार्ग में एक बड़ा गड्ढा बना दिया जिस गढ्ढे में वे रास्ते में जाते समय गिर गए, और उस गढ्ढे में एक शेर भी पहले से था ताकि वह शिवजी को मारकर खा जाए. इसके बाद शिवजी ने स्वयं उस शेर को मार डाला और उसकी खाल को पहन गड्ढे से बाहर आ गए.
तब से माना जाता है कि भगवान शिव शेर की खाल धारण करते हैं. इस पौराणिक कहानी को आधार मानते हुए यह बताया जाता है कि इसलिए शिवजी शेर की खाल पहनते हैं. इसी कथा के आधार पर इस बात का पता लगाया जा सकता है कि आखिर किस कारण से भगवान शिव ने शेर की खाल को अपना वस्त्र बनाया.
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