"मोदी,डोभाल और बिपिन रावत,ऊपर से धस्माना" माजरा खुद समझिये

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नई दिल्ली: आप जानिए क्यो कांग्रेस ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठा रही है?? इतनी सुगठित टीम कांग्रेस की सत्ता-अकांक्षाओ को लंबे समय के लिए दूर कर सकती है आपको ध्यान होगा कि भारत ने हाल ही में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की और 50 से भी अधिक आतंकियों और पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला। आपको शायद पता ना हो कि इस सर्जिकल स्ट्राइक के पीछे किसका दिमाग था और सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले जवानों को दिशा निर्देश किसने दिए थे। जी हाँ, इस सर्जिकल स्ट्राइक को बिपिन रावत ने ही रणनीति बनायी थी और सफलतापूर्वक काम को अंजाम दिया था, इससे पहले मणिपुर में भी इन्हीं की सलाह पर सर्जिकल स्ट्राइक की गयी थी और सफलतापूर्वक 30 से भी अधिक नागा आतंकियों को मारकर सेना के जवान वापस लौट आये थे।

इन दोनों सर्जिकल स्ट्राइक से बिपिन रावत ने प्रधानमंत्री मोदी का दिल जीत लिया था, मोदी को ऐसे ही अफसर चाहिए जो ऑपरेशन करने में उस्ताद हों। मोदी खुद ऑपरेशन करके बीमारियाँ दूर करने में यकीन रखते हैं, ऑपरेशन में रिश्क भी होता है लेकिन सफलता जरूर मिलती है इसलिए वे ऑपरेशन करने वाले अफसरों को अपनी टीम में रखते हैं। बिपिन रावत के बारे में जानिये
चीन, पाकिस्तान सीमा के अलावा रावत को पूर्वोत्तर में घुसपैठ रोधी अभियानों में दस साल तक कार्य करने का अनुभव है,मणिपुर ने सफलतापूर्वक सर्जिकल स्ट्राइक करवाया,POK में सफलतापूर्वक सर्जिकल स्ट्राइक करवाया,पाकिस्तान के साथ चीन बॉर्डर की भी समझ। 

रावत 1978 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे, 38 वर्ष का अनुभव है,उन्हें पाकिस्तान सीमा के साथ-साथ चीन सीमा पर भी लंबे समय तक कार्य किया है। वे नियंत्रण रेखा की चुनौतियों की गहरी समझ रखते हैं। चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा के हर खतरे से भी वे वाकिफ हैं। 

कैसे हुई नियुक्ति रक्षा मंत्रालय ने सेनाध्यक्ष की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली नियुक्ति समिति को तीन नाम भेजे थे । जिनमें लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीन बख्शी के बाद दूसरा नाम बिपिन रावत का था जबकि तीसरा नाम पी. एम. हैरिश का था। तीनों नामों में से प्रधानमंत्री मोदी को किसी एक का चुनाव करना था, उन्होंने बिपिन रावत के नाम पर अपनी मुहर लगा दी। जनरल विपिन रावत को निम्न अनुभवों के कारण थलसेना अध्यक्ष नियुक्त किया गया ।

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