आप सभी ने अनेक शास्त्रों में पढ़ा होगा कि हिन्दु धर्म में हर भगवान अलग-अलग जानवरों की सवारी करते है, जैसे भगवान विष्णु का वाहन गरुड़, भगवान गणेश का वाहन चूहा तो मां दुर्गा का वाहन शेर है. अब यह सब जानने के बाद क्या आप यह जानते है कि मां दुर्गा शेर की ही सवारी क्यों करती है? अगर आप इस बात को नहीं जानते हैं तो आइए आज हम आपको बताते हैं इससे जुडी एक पौराणिक कथा के बारे में. इस कथा में यह बात का ज्ञान है कि आखिर क्यों दुर्गा माता शेर की ही सवारी करती हैं.
कथा - ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा ने भगवान शिव को पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी. कहा जाता है कि कई वर्षों तक तपस्या करने के कारण मां का रंग सांवला हो गया . इस कठोर तपस्या के बाद शिव और पार्वती जी का विवाह हो गया. जिसके बाद उन्हें संतान के रूप में कार्तिकेय एवं गणेश की प्राप्ति हुई. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव से विवाह के बाद एक दिन जब शिव-पार्वती साथ बैठे थे तब भगवान शिव ने पार्वती से किसी बात में उन्हें काली कह डाला.
जिसके बाद मां नाराज हो गई और वन में जाकर तपस्या करने लगी. एक दिन वन में एक भूखा-प्यासा शेर आ गया. उसने मां पार्वती को तपस्या करते देखा और वहीं बैठ गया कुछ समय बाद शिव जी ने मां की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें गोरे होने का वर्दान दिया. जब मां ने आंख खोली तो देखा कि एक शेर उनके समक्ष बैठा हैं. पार्वती जी ने तब सोचा कि उनके साथ-साथ इस शेर ने भी कड़ी तपस्या की है. जिसके बाद मां ने उसे अपना वाहन बना लिया.
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