कर्नाटक में सियासी घमासान पुरे देश ने देखा और अब जाकर कांग्रेस जेडीएस ने मिलकर कुमार स्वामी के रूप में कर्नाटक को नया सीएम दिया है. हालांकि अब मंत्रिमंडल के गठन पर माथापच्ची जारी है जो जल्द सुलझती नज़र नहीं आ रही है. कर्नाटक चुनाव अपने पीछे कुछ सवाल छोड़ गया है जिसमे सु-शासन का दावा करने वाली बीजेपी के द्वारा दागियों को टिकिट दिया जाना प्रमुख है.
बीजेपी ने कई ऐसे प्रत्याशियों को टिकिट दिया था जिन पर पूर्व में कई काले कारनामें करने के आरोप लगे थे. कुछ तो ऐसे भी थे जिन पर विधानसभा सत्र के दौरान 2012 में सदन के अंदर पोर्न मूवी देखने तक का आरोप था. इन सब के बीच रेड्डी ब्रदर्स का दामन थामना भी एक बड़ा सवाल था. क्यों बीजेपी रेड्डी बंधुओ से दुरी बनाये रखने का सख्त निर्णय नहीं ले पाई समझ से परे है.
सवाल येदियुरप्पा पर भी है. जब वे पहली दो बार सरकार नहीं चला पाए और हाल ही के दिनों में कई तरह के विवादों से उलझे रहे फिर भी परिवर्तन की बात करती बीजेपी उनकी उस वरिष्ठता में क्यों उलझी रही जिसका फ़िलहाल कर्नाटक में मोल नहीं था. आखिर क्यों बीजेपी ने येदियुरप्पा और रेड्डी बन्धुओं का साथ दिया और खुद की छवि धूमिल कर ली पार्टी के कई कार्यकर्त्ता भी नहीं समझ पाए है.
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