इन दिनों रमज़ान का महीना चल रहा है. इस महीने को इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र महीना माना जाता है. रमज़ान के महीने में मुस्लिम धर्म के लोग एक महीने तक रोज़ा रखकर गरीबों की भूख-प्यास महसूस करते है. इस धर्म के लोग रोज़े के महीने में सुबह सेहरी के वक्त खाना-खाकर बाद में पुरे महीने भूखे-प्यासे ही रहते हैं. दिनभर बिना कुछ खाए-पिए रहने के बाद शाम के समय रोज़ा खोलते हैं. रोज़ा खोलने के भी कुछ नियम और रस्मे होती हैं जिसके अनुसार ही रोज़ा खोला जाता हैं.
रोज़ा खजूर खाकर ही तोड़ते हैं और खजूर खाने के बाद ही दूसरी कोई चीज़े खाई जाती हैं. लेकिन क्या आपको पता हैं कि आखिर खजूर खाकर ही रोज़ा क्यों खोला जाता हैं. चलिए हम आपको बताते हैं-
दरअसल रोज़े के समय दिनभर बिना कुछ खाए-पिए ही रहना पड़ता हैं. इसके बाद जब शाम को रोज़ा खोला जाता हैं तो अचानक से ज्यादा भोजन करना सेहत के लिए नुकसानदायक साबित होता हैं. ऐसे में खजूर हमारी सेहत पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ने देता हैं. दरअसल खजूर में पोषक तत्व होते हैं जो सभी कमियों को पूरा कर देते हैं. इसके साथ ही खजूर खाने से शरीर को ऊर्जा भी मिलती हैं जो कि सभी कमजोरियों को दूर कर देती हैं.
खजूर हमारे शरीर के पाचन-तंत्र को भी मजबूर बनाने में सहयोग प्रदान करता हैं. खजूर में कुछ ऐसे भी तत्त्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर को बीमारियों की चपेट में आने से रोकते हैं. खजूर खाने से इम्यूनिटी भी बढ़ती हैं. इसलिए रमजान के दौरान खजूर खाकर ही रोज़ा खोलने का अधिक महत्त्व होता हैं.
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