हर वर्ष 11 दिसंबर को सेलिब्रेट किया जाता है. यूएन की रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी का 27 फीसद हिस्सा पर्वतों से घिरा हुआ है. और बात जब पर्वतों या ऊंची चोटियों की हो तो कैलाश पर्वत का जिक्र होना भी लाजिमी है. हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत का बड़ा महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव का निवास स्थान भी माना जाता है. कैलाश पर्वत की ऊंचाई एवरेस्ट से काफी कम है. इसके बावजूद आज तक कोई इंसान कैलाश पर्वत की ऊंची चोटी को नहीं छू पाया है. 8848 मीटर फीट से ऊंचे माउंट एवरेस्ट को अभी तक 7000 से ज्यादा लोग फतह कर चुके हैं. जबकि कैलाश पर्वत की ऊंचाई एवरेस्ट से करीब 2200 मीटर कम यानी 6638 मीटर है.
दरअसल कैलाश पर्वत को दुनिया का सबसे अद्भुत पर्वत माना गया है. कैलाश मानसरोवर पर भगवान शिव के दर्शन करने हर साल कई यात्रियों का जत्था रवाना होता है.कैलाशपति के दर्शन करने के बाद इंसान के लिए मोक्ष का दरवाजा खुल जाता है. श्रद्धालुओं के यहां आने से पहले ही यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर लिए जाते हैं. कैलाश पर्वत की ऊंचाई एवरेस्ट से कम है. इसकी कुल ऊंचाई 6600 मीटर से थोड़ी अधिक है. बावजूद इसके माउंट एवरेस्ट पर अब तक 7 हजार से अधिक लोग चढ़ाई कर चुके हैं, लेकिन कैलाश पर्वत अब भी अजेय है.
इस पर्वत पर चढ़ने की अब तक कई बार कोशिशें की जा चुकी हैं, लेकिन किसी को भी सफलता हासिल नहीं हो पाई है. पर्वतारोहियों की इस असफलता के पीछे कई वैज्ञानिक तर्क भी दिए जा चुके हैं.जानकारी के लिए बता दें, कैलाश पर्वत और कैलाश क्षेत्र पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने रिसर्च की है. इस पर रिसर्च करने वाले ह्यूरतलीज ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने को असंभव बताया है. इसके अलावा एक दूसरे पर्वतारोही कर्नल आर.सी. विल्सन ने बताया कि, 'जैसे ही मुझे लगा कि मैं एक सीधे रास्ते से कैलाश पर्वत के शिखर पर चढ़ सकता हूं, भयानक बर्फबारी ने रास्ता रोक दिया और चढ़ाई को असंभव बना दिया.'
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