दुनियाभर में ना जाने कितने ही लोग है जो सन्ताहीन है जिन्हे संतान नहीं है और वह संतान के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में कहा जाता है कि भगवान शिव ने बताया है कि किस पाप के कारण मनुष्य को संतानहीन रहना पड़ता है. जी हाँ, और आज हम आपको उसी पाप के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके कारण इंसान को संतानहीन रहना पड़ता है. आइए जानते है इससे जुडी एक पौराणिक कथा.
पौराणिक कथा - एक बार भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश शिखर पर बैठे हुए थे और उन दोनों के बिच ज्ञान की बातें हो रही थी. पुराणों के अनुसार भगवान शिव ही ज्ञान के देवता है. जो मनुष्य शिवजी की पूजा करता है उन्हें ज्ञान प्राप्त होता है. ऐसे भगवान शिव को माता पार्वती ने एक प्रश्न पूछा और वह प्रश्न यह था कि मनुष्य को किस पाप के कारण संतानहिन रहना पड़ता है. उस समय भगवान शिव ने माता पार्वती को जो उत्तर दिया वह हम आप के समक्ष प्रस्तुत करने जा रहे है.
भगवान शिव ने कहा देवी सुनो जो मनुष्य निर्दय होकर मृगों, प्राणियों और पक्षियों के बच्चों को मारकर खा जाता है वह मनुष्य मरने के बाद दीर्धकाल तक नरक की यातना प्राप्त करता है. शिवजी आगे कहते है ऐसा मनुष्य जब सभी यातानाओं को सहन करके लंबे समय के बाद फिर से मनुष्य बनकर जन्म लेता है तो उसे संतान का सुख प्राप्त नहीं होता और वह संतानहीन होकर दुखी ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है.
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